लखनऊ| उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिता की मौत के बाद से अवसाद में रह रही पीएचडी की छात्रा स्नेहा (28) ने शुक्रवार को फांसी लगा ली। वह पीजीआई इलाके में किराये के कमरे में रह रही थी। घटना उस वक्त हुई जब उसकी रूम पार्टनर बाहर गई थी।
कमरे से पुलिस को हिंदी व अंग्रेजी में लिखा चार पन्नों का सुसाइड नोट मिला है। इसमें उसने समाज और अपनी मौजूद हालात का जिक्र किया है। एडीसीपी पूर्वी अली अब्बास के मुताबिक, प्रयागराज के बमरौली निवासी स्नेहा डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से जियोलॉजी में पीएचडी कर रही थी। वह एल्डिको के उपहार इलाके में सहेली गरिमा के साथ किराये पर रहती थी।
दोपहर में गरिमा बाहर काम से चली गई तो स्नेहा ने चादर से फांसी लगा ली। जब गरिमा लौटी तो हादसे की जानकारी हुई। स्नेहा की चीख सुनकर आसपास लोग जमा हो गए। सूचना पर पीजीआई पुलिस भी पहुंच गई।
खबर पाकर लखनऊ में रहने वाले स्नेहा के रिश्तेदार भी पहुंच गए। पुलिस का कहना है कि जनवरी में छात्रा के पिता शांता सिंह की मौत हो गई थी और वह तब से परेशान थी। इसके चलते ही उसने आत्महत्या कर ली।
बुरे दौर में सबने मेरे को अकेला कर दिया…
पुलिस को कमरे से चार पन्ने का लिखा सुसाइड नोट मिला। तीन पन्ने हिंदी में और एक पन्ना अंग्रेजी में था। एडीसीपी पूर्वी ने बताया कि छात्रा ने सुसाइड नोट में अकेलेपन का जिक्र किया है। सुसाइड नोट में उसने अपने मौजूदा हालात का जिक्र करते हुए लिखा कि जिंदगी में वह पूरी तरह अकेली हो चुकी है।
उसने इस बात को भी लिखा कि अच्छे वक्त पर हर कोई खड़ा रहता है, पर दिक्कत के समय कोई नहीं नजर आता है। नोट में एक जगह स्नेहा ने लिखा था कि बुरे दौर में सबने मेरे को अकेला कर दिया..। अंग्रेजी के पन्ने में उसने लिखा है कि पिता की बिना वह रह नहीं पा रही है और इसलिए आत्महत्या का कदम उठा रही है।
लेखपाल के बेटे ने लगाई फांसी, जांच की मांग
इसके अलावा, लखनऊ में अलीगंज के सेक्टर बी इलाके में बृहस्पतिवार को संदिग्ध हालात में हरदोई निवासी वेदांत शुक्ला(19) ने फांसी लगा ली। परिजनों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस के मुताबिक मामले की जांच की जा रही है।
इंस्पेक्टर नागेश उपाध्याय के मुताबिक वेदांत यहां से कंप्यूटर ओ लेवल का कोर्स कर रहा था। लेखपाल पिता आशीष शुक्ला ने बताया बृहस्पतिवार दोपहर को उसकी अपने बेटे से बात हुई तो उसने कुछ तबीयत खराब बताई। इसपर हरदोई चले आओ। थोड़ी देर बाद जब उसने कॉल की तो उठा नहीं।मकान मालिक को जानकारी दी। उन्होंने कमरे में जाकर देखा तो दरवाजा अंदर से बंद मिला।
कई बार भर खटखटाने पर दरवाजा नहीं खुला। पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंची तो से लटकता पाया। आननफानन में उतारकर उसे ट्रामा सेंटर पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इंस्पेक्टर के मुताबिक मोबाइल को कब्जे में लेलिया गया है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
इकलौते बेटे की मौत से रो-रोकर बुरा हाल
वेदांत परिवार का इकलौता सहारा था। बचपन से ही उसकी हर मांग को एक बार में पूरा किया, लेकिन वह इस तरह से कदम उठाएगा पता ही नहीं था। पिता बोले क्या दिक्कत थी एकबार बताई भी नहीं। जैसे ही मौत की खबर पहुंची तो मां बेसुध होकर गिर पड़ी। वहीं पिता भी खुद को संभाल नहीं पाए। परिवार में पिता और मां ज्योति है।