कुख्यात गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को गोलियों से भूनने वाले शूटर विजय यादव उर्फ आनंद के कुबूलनामे का एक वीडियो सोमवार को वायरल हुआ। इसमें वह दावा करते सुनाई दे रहा है कि काठमांडू में उसकी मुलाकात असलम नाम के शख्स से हुई थी। उसने संजीव को मारने की 20 लाख की सुपारी दी थी। बताया था कि उसका भाई आतिफ लखनऊ जेल में बंद है। संजीव ने उसकी दाढ़ी नोची है। इसलिए उस अपमान का बदला लेना है। ये कहानी वारदात के दूसरे दिन सामने आई थी, लेकिन तब ठोस सुबूत नहीं थे। अब विजय का वीडियो ही सामने आ गया। पुलिस बयान की तस्दीक करने में जुटी है।
मालूम हो कि 7 जून को संजीव पेशी पर एससी-एसटी कोर्ट लाया गया था। तभी कोर्ट रूम में उसको गोलियों से भून दिया गया था। जौनपुर निवासी शूटर विजय यादव दबोच लिया गया था। वह जेल में बंद है। जेल जाने से पहले पुलिस ने अस्पताल में उससे पूछताछ की थी, जिसका एक वीडियो सामने आया है। इसमें वह कह रहा है कि नेपाल के काठमांडू में असलम नाम के शख्स से उसकी मुलाकात हुई थी। उसने कहा था कि लखनऊ जेल में बंद उसके भाई आतिफ को संजीव ने बहुत जलील किया है। नीचा दिखाने के लिए उसकी दाढ़ी नोच ली। इसका बदला लेना है। असलम ने ही उसे 20 लाख की सुपारी दी थी। इस दावे में कितनी सच्चाई है कि ये आगे की जांच में सामने आएगा।
सूत्रों के मुताबिक विजय से की गई पूछताछ की तमाम बातें अभी सामने नहीं आ पाई हैं। न ही वह इस वीडियो में हैं। सूत्रों ने बताया कि विजय ने पूछताछ में बताया है कि असलम से डील फाइनल करने के बाद वह बहराइच के रास्ते लखनऊ पहुंचा था। यहीं पर असलम के एक आदमी ने उसको रिवाॅल्वर उपलब्ध कराई। उसी ने संजीव की पहचाना कराई। उसे संजीव की एक फोटो भी दी गई थी। ताकि संजीव की पहचान करने में दिक्कत न आए। पुलिस बयानों के आधार पर कड़ी से कड़ी जोड़ रही है।
विजय ने स्पष्ट कहा है कि असलम ने उसको सुपारी दी। सवाल उठता है कि आखिर काठमांडू में उसकी मुलाकात असलम से कैसे हो गई। विजय का कोई बड़ा आपराधिक इतिहास भी नहीं है कि असलम उससे वारदात को अंजाम दिलाने के लिए संपर्क करता। अचानक से उसका संपर्क करना और इतनी बड़ी सुपारी दे देना, गले नहीं उतर रहा है। विजय के बयानों की कहानी में कई झोल हैं।
इस दौरान दो पुलिसकर्मियों, एक डेढ़ साल की बच्ची व उसकी मां को भी गोली लगी। जीवा पर शूटर ने पीछे से फायरिंग की थी। वारदात के बाद वकीलों ने दौड़कर हमलावर को दबोच लिया और पीटकर पुलिस को सौंप दिया था। घायलों को ट्रामा में भर्ती कराया गया था। हत्याकांड के आशंका जताई जा रही थी कि शूटर कोर्ट की हर एक चीज से वाकिफ था। शूटर को जिसने भी रेकी कराई और जानकारी दी उसकी भूमिका बेहद अहम है। मामले में पूछताछ की जा रही है।
शासन की तरफ से गठित की गई तीन सदस्य एसआईटी अपने स्तर से तफ्तीश कर रही है। एसआईटी घटना की वजह के पहलू पर जांच कर रही है। कुछ पुलिस अधिकारियों समेत 12 लोगों से एसआईटी ने पूछताछ कर उनके बयान लिए हैं। इसमें अधिकतर प्रत्यक्षदर्शी भी शामिल हैं। उधर केस की विवेचना कर रही पुलिस की टीम ने भी संजीव की अभिरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों के बयान लिए। विवेचना टीम ने बस अड्डे पर लगे कैमरों को फिर से खंगाला।
शूटर विजय यादव के बयान पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। बयानों की पुष्टि की शुरुआती जांच में कई विरोधाभास सामने आए हैं। दरअसल लखनऊ जिला जेल में वर्तमान में आतिफ नाम के चार बंदी/कैदी बंद हैं। इनमें से किसी के भाई का नाम असलम नहीं है। न ही संजीव व किसी आतिफ का विवाद सामने आया। इस वजह से विजय के बयान पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर ये किस असलम और आतिफ की बात कर रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं साजिश के तहत ही ये बयान दिया गया है।
विजय यादव ने दावा किया है कि असलम नाम के शख्स ने सुपारी थी। उसका भाई आतिफ लखनऊ जेल में बंद है। जेल सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में लखनऊ जेल में चार आतिफ बंद हैं। इसमें से दो कानपुर व एक-एक महाराष्ट्र और गाजीपुर का रहने वाला है। जब विजय का बयान आया तब जेल प्रशासन ने अपने स्तर से इस बारे में तहकीकात की, जिसके बाद ये जानकारी सामने आई। अब सवाल है कि क्या विजय ने फर्जी कहानी गढ़ी है। अगर ऐसा है तो क्यों? आशंका है कि जो उसका आका है उसी ने इस तरह की कहानी उसको बयां करने का हुक्म दिया था। इसलिए वह रटारटाया जवाब दे रहा है। फिलहाल जांच टीमें इस तथ्य के सत्यापन करने में जुटी है।