नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के बीच जब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मंगलवार शाम दिल्ली पहुंचे थे राजनीतिक हलकों में तभी यह अंदाजा लग गया था कि पंजाब की राजनीति में कुछ बड़ा उलटफेर होने जा रहा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर मंगलवार को कैप्टन ने इस बात से इंकार किया था कि वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे लेकिन बुधवार की शाम होते-होते वे अमित शाह से मिलने पहुंच गए। बताया जा रहा है कि वे नड्डा से भी मिलेंगे। कैप्टन पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात और चर्चा के बाद भाजपा में शामिल हो सकते हैं। यदि कैप्टन भाजपा में शामिल होते हैं तो यह भाजपा और कैप्टन दोनों के लिए फायदे का सौदा होने वाला है।
1- सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भाजपा को पंजाब में एक बड़ा चेहरा मिलेगा। अमरिंदर सिंह प्रदेश के कद्दावर नेता माने जाते हैं। 2017 तक भाजपा वहां शिरोमणि अकाली दल के साए में चुनाव लड़ रही थी। साल 2017 के विधानसभा चुनावों और फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में भी अकाली दल के खराब प्रदर्शन के बावजूद भाजपा ने उससे रिश्ता नहीं तोड़ा। था लेकिन जब कृषि कानूनों के विरोध में अकाली नेता और सुखविंदर सिंह की पत्नी हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया और समर्थन वापस ले लिया तो फिर दोनों के रास्ते अलग हो गए।
2- कांग्रेस को कमजोर करने के लिए अमरिंदर सिंह अपनी पूरी ताकत लगा देंगे। अब अमरिंदर और भाजपा के हित एक हो जाएंगे। पार्टी को लगता है कि कैप्टन के जुड़ जाने से पार्टी को पंजाब में अपने पांव मजबूत करने मे मदद तो मिलेगी ही, साथ ही कांग्रेस पर प्रहार और वार करना आसान होगा। कैप्टन पंजाब में कांग्रेस का मुख्य चेहरा रहे हैं और पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ा था।
3- पंजाब में भाजपा को एक बूस्ट मिलेगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में जहां अकाली दल ने 15 सीटें जीती थीं वहीं भाजपा को केवल तीन सीटें मिली थीं। जबकि अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर कांग्रेस ने 117 में से 77 सीटें जीती थीं। जबकि आम आदमी पार्टी ने 19 सीटें जीती थीं। जहां 2017 के चुनाव में भाजपा रेस में एकदम पीछे थी, अमरिंदर के भाजपा में शामिल होने से पार्टी का पलड़ा भारी हो सकता है।
4- कैप्टन भाजपा की राष्ट्रवादी छवि की मापदंड पर फिट बैठते हैं और उन्हें अपने साथ लेने से पार्टी की ताकत बढ़ सकती है।
5- कैप्टन अपने रसूख का फायदा उठाकर करीब 10 महीने से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म कराने का एक जरिया बन सकते हैं। वे सरकार और किसानों के बीच इस आंदोलन को खत्म कराने की एक कड़ी का काम कर सकते हैं।