खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना में आवासीय भूखंडों और फ्लैटों के निर्माण का काम जल्द ही शुरू होगा, लेकिन इसको लेकर हो रही तोड़फोड़ ने यहां पहले से बसे लोगों की नींद उड़ा दी है। 24 घंटे पहले प्रशासन की टीम लाल निशान लगाती है और फिर सुबह से बुलडोजर तोड़फोड़ मचाता है। कार्रवाई शुरू होने से मकान मालिकों में अफरा-तफरी है। अपना आशियाना बचाने के लिए वे अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगा रहे हैं।

इलाके में जाने पर लोगों में जीडीए की कार्रवाई का खौफ साफ नजर आता है। जिनके घर पर लाल निशान लग गए हैं, वे हताश दिखते हैं। पूछिए तो बस यही कहते हैं- खाली पड़ी भूमि का उचित मुआवजा देकर जीडीए अपनी योजना बसाए। पहले से बने पक्के रिहायशी मकानाें को न तुड़वाए। इसके बदले में विकास शुल्क लेकर हमें भी यहां रहने दें। अगर बसाने वाले ही उजाड़ेंगे तो लोगों का भरोसा उठ जाएगा।

गाेरखपुर-देवरिया रोड पर जंगल सिकरी बाईपास से करीब एक किलोमीटर आगे जाने पर बाईं तरफ जीडीए की योजना के लिए भूमि अधिग्रहित की गई है। इसमें जंगल सिकरी और सैनिक नगर कॉलोनी शामिल है, जहां पर 25 से 30 साल पुराने रिहायशी, पक्के मकान बने हुए हैं। अब इन मकानों के टूटने की नौबत आ गई है। बाईपास से कॉलोनी की ओर मुड़ने पर मनोज का मकान है। वह इसमें जनरल स्टोर्स की दुकान खोलकर आजीविका चलाते हैं। बृहस्पतिवार की दोपहर 12.35 बजे उनके दुकान के सामने दुर्गविजय, कमलेश राय, संदीप मौर्या आदि बैठे थे।