वाराणसी| वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 5.68 करोड़ रुपये के गबन के मामले में वांछित पूर्व कुलपति के निजी सचिव मैदागिन क्षेत्र के ग्वालदास लेन निवासी बृजभवन दास गुजराती को बुधवार को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की वाराणसी इकाई ने गिरफ्तार किया। आरोपी को अदालत में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2000-2001 से लेकर 2009-10 के बीच दुर्लभ पांडुलिपियों और ग्रंथों के मुद्रण व प्रकाशन के लिए 10 करोड़ 20 लाख 22 हजार रुपये का विशेष अनुदान दिया गया था।
आरोप है कि मुद्रण के लिए जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रकाशन संस्थान के तत्कालीन निदेशक के द्वारा वित्त विभाग के अधिकारियों, प्रिंटिंग प्रेस मालिकों और अन्य लोगों से मिलीभगत करके दुर्लभ पांडुलिपियों व ग्रंथों का मुद्रण कराए बगैर ही लगभग 5.68 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान कर गबन कर लिया गया। प्रकाशन विभाग द्वारा लगभग 3.67 करोड़ रुपये का ही मुद्रण कार्य कराया गया।
प्रकरण को लेकर वर्ष 2014 में चेतगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और प्रदेश सरकार ने जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी। ईओडब्ल्यू के वाराणसी सेक्टर के एसपी डी प्रदीप कुमार ने बताया कि मुकदमे में वांछित बृजभवन दास गुजराती को इंस्पेक्टर सुनील कुमार वर्मा के नेतृत्व में गठित टीम ने गोलघर कचहरी के समीप से गिरफ्तार किया है।
बृजभवन दास गुजराती के द्वारा तत्कालीन कुलपति के हस्ताक्षर की फर्जी मुहर तैयार कर वित्तीय पत्रावलियों पर प्रयोग किए जाने की पुष्टि हुई है। इस प्रकरण में पूर्व में चार अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। शेष अन्य छह आरोपियों की तलाश जारी है।