यूपी। फास्टैग में फर्जीवाड़ा कर सिहोरी टोल प्लाजा को करोड़ों की चपत लगाने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। गैंग के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि छह फरार हैं। पुलिस ने बदमाशों के कब्जे से 20 फास्टैग व चार मोबाइल बरामद किए हैं। यह गिरोह एक फास्टैग पर रोजाना 70 से 80 भारी वाहनों को पास कराता था।

एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया पिछले दिनों टोल प्लाजा के मुख्य प्रबंधक ने मुकदमा दर्ज कराया था कि कुछ अज्ञात लोग विभिन्न वाहन नंबर व फर्जी मोबाइल के आधार पर जारी फास्टैग से भारी वाहनों को पास कराते हैं। इससे कंपनी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

घटना के खुलासे के लिए इंस्पेक्टर कोखराज विनोद मौर्या, साइबर सेल प्रभारी विजय यादव व एसओजी प्रभारी सिद्धार्थ सिंह की टीम को लगाया गया था। पुलिस ने कोखराज कोतवाली के शिवराजपुर निवासी मो.अल्फैज, सिहोरी निवासी मो.इमरान, मो.शाहरुख, एहशाम, रायबरेली जिले के सलोन कोतवाली के करहिया बाजार निवासी नरेंद्र वर्मा, प्रतापगढ़ के पुरई का पूरा निवासी लक्ष्मीकांत को गिरफ्तार किया है।

आरोपियों ने बताया कि भारी वाहनों की टोल प्लाजा पर 1250 रुपये की रसीद कटती है। यह फास्टैग वह लोग ट्रक चालक को पांच सौ रुपये में देते थे। टोल से वाहन पास होने के बाद गैंग के लोग ट्रक चालक से फास्टैग वापस ले लेते थे। टोल का नियम है कि 72 घंटे तक पैसा नहीं कटता है। इस दौरान वह एक ही फास्टैग से रोजाना 70 से 80 वाहन पार करा देते थे। 72 घंटे बाद फास्टैग माइनस में होने के कारण वह खुद ही ब्लॉक हो जाता था।

एसपी ने बताया फास्टैग जारी होने से पहले मोबाइल पर ओटीपी आता है। गिरोह के लोग अपने पास रखे मोबाइल पर ओटीपी हासिल करते थे। वाहन का नंबर भी अनजान होता था। इस तरह से एक कार्ड पर रोजाना 40 हजार की चपत टोल प्लाजा को लगाया जाता था। गिरफ्तार करने वाली टीम को 20 हजार के पुरस्कार से सम्मानित किया है।

एसपी ने बताया कि यह एक तरह का नवीतम साइबर अपराध है। गिरोह के सदस्य बैंकों से संपर्क कर फास्टैग की एजेंट आईडी हासिल करते थे। इसके बाद सिहोरी टोल प्लाजा के पास रहकर ट्रक चालकों फास्टैग दिया जाता था। ट्रक चालक को भी 750 रुपये का फायदा होता था। इस वजह से वह लालच में फंस जाते थे।