तुलसी के पौधे की हम सभी के घरों में पूजा होती है और तुलसी को मां का दर्जा प्राप्‍त है। तुलसी को मां लक्ष्‍मी का रूप माना जाता है और उनका प्रयोग पूजापाठ के सभी कार्यों में किया जाता है। तुलसी की पूजा की जाती है और देवी-देवताओं का भोग लगाने में तुलसी के पत्‍तों का प्रयोग किया जाता है। तुलसी के प्रयोग से जुडे़ शास्‍त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं। आइए आपको बताते हैं क्‍या हैं ये नियम।

घर में तुलसी को लगाना जितना शुभ माना जाता है, सूखी हुई तुलसी को रखना उतना ही अशुभ भी होता है। सूखी हुई तुलसी को घर में न रखें। इसके स्‍थान पर तुलसी का नया पौधा लगा देना चाहिए। सूखी हुई तुलसी को घर में रखने से नकारात्‍मक ऊर्जा पैदा होती है और घर में आर्थिक तंगी बढ़ने लगती है।

तुलसी के सूखे पेड़ को घर में रखना शास्‍त्रों में बहुत अशुभ माना गया है। तुलसी के सूखे पेड़ को घर में न रखें। बल्कि इसे तुरंत जमीन में गाड़ देना चाहिए या फिर बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। सूखी हुई तुलसी को भूलकर भी जलाना चाहिए। तुलसी को जलाना स्‍वयं अपना नुकसान करने के बराबर माना जाता है।

तुलसी के पौधे को बहुत ही शुद्धता के साथ छूना चाहिए। बिना स्‍नान किए तुलसी के पेड़ को नहीं छूना चाहिए। गंदे हाथों से तुलसी के पेड़ को नहीं छूना चाहिए। तुलसी के पत्‍तों को रात में भूलकर भी न तोड़ें। एकादशी और द्वादशी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्‍तों को न तोड़ें। तुलसी के पत्‍तों का पूजा में प्रयोग करना हो तो उसे सुबह ही तोड़कर रख लें। शाम के वक्‍त तुलसी के पत्‍तो को तोड़ना शास्‍त्रों में मना किया गया है।

ध्‍यान दें कि तुलसी के पत्‍ते कभी पैरों के नीचे नहीं आने चाहिए। तुलसी को मां लक्ष्‍मी का स्‍वरूप माना गया है। इसलिए ध्‍यान रखें कि तुलसी के पत्‍ते भूलकर भी पैरों के नीचे न आएं। अगर आपको तुलसी का पत्‍ता कहीं यहां-वहां पड़ा हुआ नजर आए तो फिर से उसे मिट्टी में ही गाड़ दें। तुलसी की रोजाना पूजा करनी चाहिए और तुलसी को सुबह शाम दीपक और धूप दिखाना चाहिए।