ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें ASI को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वे करने की अनुमति दी गई थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि ASI सर्वे के दौरान मस्जिद को न तो छुआ जाएगा, न ही खुदाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने ASI के निदेशक को GPR (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) सर्वे, उत्खनन, डेटिंग पद्धति और वर्तमान संरचना की आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके एक विस्तृत वैज्ञानिक जांच करने का निर्देश दिया है. बता दें कि शुक्रवार को सर्वे का पहला दिन था, ज्ञानवापी परिसर में 6 घंटे तक सर्वे की प्रक्रिया चली.

सुप्रीम कोर्ट में ASI के निदेशक ने कहा कि एएसआई सर्वे के दौरान दस्तावेज़ीकरण, फ़ोटोग्राफ़ी, विस्तृत विवरण, GRP सर्वे करेगा. इस दौरान मौजूदा संरचनाओं को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि संरचनाओं की विस्तृत वैज्ञानिक जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि सर्वे और अध्ययन करते समय किसी तरह की ड्रिलिंग नहीं की जाएगी, न ही मौजूदा ढांचे से ईंट या पत्थर नहीं हटाया जाएगा. कोई कटाई नहीं की जाएगी. संरचना को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं किया जाएगा. कोई भी दीवार/संरचना क्षतिग्रस्त नहीं होगी. संपूर्ण सर्वेक्षण गैर-विनाशकारी पद्धति से किया जाएगा. इसमें जीपीआर सर्वे और अन्य वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा. ऐसे में सवाल ये है कि एएसआई बिना खुदाई और गुंबद को नुकसान पहुंचाए बिना GRP विधि से कैसे सर्वे करेगी.

ASI को ज्ञानवापी का जीपीआर सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं. दरअसल, जीपीआर यानी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार एक ऐसी पद्धति है, जिसमें उपकरण के जरिए 8 से 10 मीटर तक की वस्तुओं का पता लगा सकता है. इसके तहत किसी भी संरचना के नीचे कंक्रीट, धातु, पाइप, केबल या किसी अन्य वस्तु की पहचान की जा सकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक इस तकनीकी के जरिए इलेक्ट्रोमैग्नेट रेडिएशन की मदद से सिग्नल मिलते हैं. इसके जरिए यह पता लगाना आसान हो जाता है कि जमीन के नीचे किस प्रकार और आकार की वस्तु या संरचना है. जीपीआर के प्राथमिक नतीजे शुरुआत में आएंगे, लेकिन पूरे सर्वेक्षण में सात से आठ दिन लग सकते हैं.

ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) नॉन-डिस्ट्रक्टिव जियोग्राफिकल विधि है, इसके जरिए जमीन की सतह के नीचे किसी चीज़ की तस्वीर बनाने के लिए रडार का उपयोग किया जाता है. इस तकनीक से पुरातत्वविदों को ऐतिहासिक स्थलों की खोज करने में मदद मिलती है. जीपीआर एक ट्रांसमिटिंग एंटीना का उपयोग करके जमीन में इलेक्ट्रो-मैग्नेट एनर्जी उत्सर्जित करता है. यह जमीन के अंदर जाती है और विद्युत पारगम्यता (Electrical Permeability) के आधार पर भूमिगत संरचना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है. इसके बाद एक एंटीना जमीन से मिलने वाले सिग्नल में भिन्नता को रिकॉर्ड करता है. जीपीआर माइक्रोवेव रेंज में इलेक्ट्रो-मैग्नेट स्पेक्ट्रम का उपयोग करके उपसतह की छवियां प्रदान करता है.

CJI ने कहा कि जब हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी तब सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महानिदेशक ASI को बुलाया गया था. एडीजी ASI ने प्रस्तावित सर्वे की प्रकृति बताते हुए एक हलफनामा दायर किया है. ASI द्वारा दायर हलफनामे के पैरा 13- 20 को सुविधा के लिए निकाला गया है. हलफनामे के अलावा गवाह आलोक त्रिपाठी (एडीजी ASI) व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए. एडीजी द्वारा दी गई दलीलें हाईकोर्ट के फैसले में दर्ज की गई हैं. वहीं, जिला न्यायाधीश का आदेश सीपीसी के आदेश 26 के दायरे में आता है. लिहाजा अदालत वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्देश दे सकती है.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शुक्रवार को एएसआई सर्वे की कार्यवाही करीब 6 घंटे तक चली. सुबह 8 बजे शुरू होकर 11:30 बजे तक सर्वे हुआ. फिर जुमे की नमाज की वजह से 3 घंटे तक सर्वे का काम दोपहर ढाई बजे तक बंद रहा. इसके बाद टीम की ओर से ढाई बजे के बाद ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वे शुरू हुआ. कार्यवाही के दौरान न केवल पेपर वर्क हुआ, बल्कि ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार की फोटोग्राफी की गई. इस दौरान हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल था. क्योंकि सर्वे को न केवल सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी, बल्कि वाराणसी के जिला जज के न्यायालय ने भी ASI सर्वे की मियाद बढ़ाकर 4 हफ्ते कर दी है. अब शनिवार सुबह एक बार फिर सर्वे की कार्यवाही करीब 9 बजे से शुरू होगी.