एक ओर, देश में आजादी का अमृत महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है, वहीं एक दुखद सच्चाई यह भी है कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के कारण उस वक्त लाखों लोगों ने विभाजन की विभीषिका झेली थी। कितने ही लोग मारे गए थे और जो बचे वह इन भयावह दृश्यों से शायद जीवन भर न उबर पाए। आज भले ही वक्त के साथ इससे जुड़े घाव भर गए हों, मगर निशान तो अब भी कायम हैं। यही कारण है कि पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में विभाजन की विभीषिका को याद करने और इसी पीड़ादायी त्रासदी के बारे में युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ का आयोजन किया गया था।

ऐसे में, इस वर्ष भी पिछले वर्ष की भांति ही 14 अगस्त को प्रदेश में विभाजन के दौरान प्राण गंवाने वाले लोगों को याद रखा जाएगा और वृहद स्तर पर पूरे प्रदेश में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सीएम की मंशा के अनुरूप, प्रदेश के सभी 75 जिलों में विभाजन के दौरान विस्थापित परिवारों को आमंत्रित कर त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, सभी जिलों में प्रदर्शनी के आयोजन, विभाजन संबंधी डॉक्यूमेंट्रीज दिखाए जाने व अन्य कार्यक्रमों के आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इस विषय में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा सभी सचिवों, मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।

1947 में देश ने लाखों लोगों के बलिदान के फलस्वरूप स्वाधीनता प्राप्त की थी, मगर इसी दौरान देश को दो टुकड़ों में बांटे जाने का जख्म भी झेलना पड़ा। भारत से कटकर पाकिस्तान नया देश बना और बाद में पाकिस्तान के इसी पूर्वी हिस्से ने 1971 में बांग्लादेश के तौर पर एक नए देश की शक्ल ली। भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया था। ऐसे में, इस त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देकर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के आयोजन के जरिए भेदभाव, वैमनस्य व दुर्भावना को खत्म कर एकता, सामाजिक सद्भाव व मानव सशक्तिकरण की भावना को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसी बात को ध्यान में रखकर सीएम योगी की मंशा के अनुरूप आयोजन को लेकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है।