फतेहपुर| फतेहपुर जिले में सदर कोतवाली क्षेत्र के नासिरपीर मोहल्ला निवासी राज सिंह चौहान (22) के चर्चित अपहरण और हत्याकांड में पुलिस की कार्यशैली को लेकर कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद विवेचना पर कई सवाल खड़े हो गए। पीड़ित पक्ष का कहना है कि सात साल तक चली सुनवाई में इंसाफ नहीं मिला।
बता दें कि राज सिंह चौहान सिविल कोर्ट के सेवानिवृत्त बाबू लोकनाथ सिंह का पुत्र था। वह घर से 21 सितंबर 2016 की शाम निकला था। उसकी परिजनों से रात को मोबाइल पर बातचीत हुई थी। राज ने परिजनों को बताया था कि वह मोहल्ले के सपा नेता संजीत यादव के साथ नउवाबाग से खाना खाकर घर लौटेगा।
इसके बाद राज घर नहीं लौटा। पिता लोकनाथ ने 24 सितंबर को पुत्र की गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस ने लोकनाथ के बयान पर नासिरपीर मोहल्ला निवासी संजीत यादव, सिविल लाइन निवासी रोहित गौतम व अन्य लोगों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज किया। 27 सितंबर को नहर के पास एक युवक का शव मिला।
उसकी पहचान राज सिंह चौहान के रूप में परिजनों ने कपड़े, गले की माला, बेल्ट आदि से की थी। पुलिस ने संजीत यादव, सिविल लाइन निवासी डॉली उर्फ प्रिया और संजीत के चाचा रमेश यादव के खिलाफ चार्जशीट लगाई। आरोपी रोहित की नामजदगी गलत पाई। पुलिस ने तर्क रखा कि संजीत और डॉली के बीच प्रेम प्रसंग था।
डॉली की छोटी बहन के साथ राज का प्रेम प्रसंग था। इसी खुन्नस में संजीत ने अपने चाचा रमेश और डॉली के साथ साजिश रचकर राज सिंह चौहान की हत्या की थी। आरोपी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता आरडी शुक्ला ने बताया कि घटना की रात संजीत यादव को छोड़कर राज किसी के साथ सफेद बोलेरो से चला गया था।
इसके बाद संजीत को कुछ पता नहीं है। पुलिस ने तीनों को बेवजह फंसाया था। वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि तमाम साक्ष्यों के आधार पर संजीत, डॉली और रमेश को कोर्ट ने दोषमुक्त किया है। कोर्ट में राज और डॉली की बहन से प्रेम की वजह से हत्या साबित नहीं हो सकी। प्रेम प्रसंग की बात वादी पक्ष ने कई दिन बाद पुलिस को बताई।
बरामद शव की पहचान वादी व परिजनों ने राज सिंह के रूप में हुलिए से की। गुमशुदगी में काली शर्ट, सफेद पैंट का जिक्र किया। जबकि लाश से सफेद शर्ट, ग्रे पैंट मिला। पंचनामे में शामिल वादी पक्ष के राजनारायण ने शरीर पर पैंट के अलावा कोई कपड़ा नहीं होना बताया था। डॉक्टर ने शव पुराना होने के कारण पहचान असंभव बताई थी। चेहरे से मांसपेशी गायब थी। सिर के बाल नहीं थे। कंधों से हाथ गायब था। एड़ी के जोड़ से पैर गायब था।
डॉक्टर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हाथ से गला दबाकर मारा जाना बताया। इधर, पुलिस ने अंगौछे से गला कसकर मारने का संजीत व रमेश पर आरोप लगाया। हत्या में आलाकत्ल अंगौछे की भी बरामदगी दिखाई। अंगौछा किसका है, यह साफ नहीं कर सके। डॉक्टर ने सहमति जताई कि गला किसी रस्सी, साड़ी, कपड़े से कसने से लिगेचर मार्क आना चाहिए, जो नहीं मिला। पुलिस अंगौछा, घड़ी, मोबाइल किसका है, यह भी स्पष्ट नहीं कर सकी।
कोर्ट ने हत्या जैसे संगीन मामले में विवेचना दौरान लापरवाही बरतने पर विवेचक तत्कालीन कोतवाल राजकुमार पांडेय पर विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। विवेचक को शव सड़ा होने पर वैज्ञानिक परीक्षण कराया जाना चाहिए था। उनकी इस लापरवाही का लाभ अभियुक्तों को मिला है। मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही समाने आई है।
जेल से छूटे सपा नेता संजीत यादव ने बताया कि आरोप लगने के समय सपा छात्र सभा के जिला महासचिव थे। उनका पूरा करियर सात साल में चौपट हो गया। वह पुलिस को घटना से जुड़े लोगों को बता रहे थे, लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। राजनैतिक द्वेष के चलते फंसाकर जेल भेजा था। जेल में गुजारे सात साल की भरपाई के लिए उच्च न्यायालय की शरण लेंगे।