बॉलीवुड के किंग खान यानी शाहरुख खान की फिल्म जवान रिलीज की तैयारी में है। मूवी रिलीज से पहले हाल ही में एक्‍टर को वैष्णो देवी मंदिर में स्पॉट किया गया। उन्होंने न केवल माता के दर्शन किए, बल्कि मां से आर्शीवाद भी मांगा। कहते हैं कि माता वैष्णो देवी के दर्शन करने भर से हर मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं मंदिर के इतिहास, महत्‍व और महिमा के बारे में।

इतिहासकारों की मानें, तो ताता वैष्‍णोदेवी का मंदिर 700 साल पुराना है। इसका निर्माण पंडित श्रीधर ने कराया था। वे माता के बहुत बड़े भक्‍त थे। उनकी भक्ति से मां बेहद प्रसन्‍न थी। एक दिन मां श्रीधर के सपने में आईं और बोलीं, कि तुम माता वैष्णो का एक भंडारा करो। इतना कहकर मां र्अत ध्‍यान हो गईं। चूंकि श्रीधर गरीब थे। भंडारों में लोगो की बढ़ती भीड़ को देखकर चिंतित हो गए थे। इस भंडारे में एक बालिका थी, जो सबको प्रसाद बांट रही थी।

लोगों ने नाम पूछा तो उन्होंने बताया कि उनका नाम वैष्‍णवी है और गायब हो गर्ईं। पंडित श्रीधर ने लोगों से पूछा कहां गईं मां वैष्‍णवी। तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। एक दिन माता पंडित श्रीधर के सपने में आकर बोली, मैं ही माता वैष्णवी हूं। सपने में उन्होंने त्रिकूट पर्वत पर स्थित गुफा के बारे में बताया। पंडित श्रीधर ने गुफा ढूंढकर पूरे विधि विधान से यहां माता वैष्णो की स्‍थापना की। आज यही गुफा मां वैष्णो देवी की गुफा कहलाती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, माता वैष्‍णो का जन्‍म दक्षिण भारत में रत्नाकर के घर में हुआ था। माता के जन्‍म से पहले उनके माता-पिता के कोई संतान नहीं थी। बचपन में माता का नाम त्रिकुटा था। बाद में जब उनका जन्म भगवान विष्‍णु के वंश में हुआ, तब उनका नाम वैष्‍णवी पड़ गया और लोग उन्‍हें मां वैष्णो देवी के नाम से जानने लगे।

माना जाता है कि मां वैष्णो देवी के दरबार में आने वाले भक्तों की यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती, जब तक की वो भैरो बाबा के दर्शन न कर लें। कहते हैं कि मां ने तपस्या के बाद भैरवनाथ ने उनसे युद्ध किया। लेकिन भैरवनाथ ने उनसे क्षमा मांग ली थी जिस पर मां ने उसे माफ करते हुए वरदान दिया था मेरे भक्‍तों की पूजा तुम्‍हारे दर्शन के बिना पूरी नहीं होगी। इसलिए मंदिर में जाने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन के बाद भैरो बाबा के दर्शन के लिए जरूर जाते हैं।

त्रिकुटा पर्वत की पहाड़ियों पर माता की गुफा 5200 फीट की ऊंचाई पर बनी है। कहते हैं कि तीर्थ यात्रा करते समय मां को आशीर्वाद अपने भक्‍तों पर हमेशा रहता है, इसलिए कठिन से कठिन चढ़ाई को भी लोग आसानी से पार कर जाते हैं। बता दें कि गुफा के अंदर माता वैष्‍णो की कोई प्रतिमा स्‍थापित नहीं है। यहां तीन प्राकृतिक पत्‍थरों के रूप में माता को पूजा जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को कटरा के बेस कैंप से 13 किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।