कानपुर । मनीष गुप्ता हत्याकांड के मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण और दरोगा अक्षय मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद एक बड़ा खुलासा हुआ है। वारदात की रात जब मनीष की सांसें थम गई थीं और पुलिसकर्मियों को एहसास हो गया था कि उसकी मौत हो गई है, तब आरोपी शव ठिकाने लगाने के प्रयास में जुटे थे। आखिर में जब उनको कोई रास्ता नहीं सूझा तब वे बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। इसलिए उनको निजी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज पहुंचने में करीब दो घंटे का समय लगा। एसआईटी ने इस तथ्य को अपनी जांच में भी शामिल किया है। गोरखपुर के कृष्णा होटल में 27 सितंबर की रात पुलिस ने कमरा नंबर 512 में दबिश दी थी। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने चेकिंग के नाम पर बर्रा तीन निवासी मनीष को पीट-पीटकर मरणासन्न कर दिया था। बेजान मनीष को वह सबसे पहले पुलिस की जीप से लेकर मानसी अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टर ने बताया कि मनीष की नब्ज नहीं मिल रही है। तत्काल इनको लेकर बीआरडी मेडिकल ले जाओ।

अस्पताल प्रशासन ने मनीष को वहां से रेफर कर दिया था। एसआईटी की जांच में सामने आया कि जब यहां से पुलिसकर्मी मनीष को लेकर रवाना हुए तो उनको यकीन हो गया था कि मनीष की मौत हो चुकी है। वह तकरीबन दो घंटे बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने मनीष को मृत घोषित कर दिया। 

एसआईटी ने जब यह पता करना शुरू किया कि जिस दूरी को दस मिनट में कवर करना था उसमें पुलिसकर्मियों को दो घंटे क्यों लगे। तब सीसीटीवी फुटेज व अन्य तथ्यों से स्पष्ट हुआ कि पुलिसकर्मी वहां थाने गए। गाड़ी भी बदली। 

इस पूरे समय में वह घूमते रहे थे। कुछ जगहों पर वह रुके भी थे। इस दौरान मनीष के शव को ठिकाने लगाने के प्रयास में जुटे थे। उनको समझ नहीं आ रहा था कि अब करें तो क्या करें। अंत तक जब समझ नहीं सके कि शव का क्या जाए तो वह सीधे मेडिकल कॉलेज पहुंचे।

सूत्रों के मुताबिक एसआईटी की जांच में समाने आया कि जब गाड़ी में बेजान मनीष को लेकर पुलिसकर्मी घूम रहे थे तो एक पुलिसकर्मी ने इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह से कहा कि शव को कहीं ऐसे ही फेंक देते हैं। बाद में लावारिस में बरामद होगा। आगे की जांच होती रहेगी।

इस पर जगत नारायण ने कहा कि ऐसा करने से और फंस जाओगे। होटल से जब मनीष को लेकर चले थे तब उसके दोस्त व होटल प्रशासन मौजूद था। मानसी अस्पताल प्रशासन भी इसका गवाह है। बाकी तमाम फुटेज में भी हम लोग कैद हुए हैं। लिहाजा मेडिकल कॉलेज चलने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है।

हत्यारोपी इंस्पेक्टर और एक दरोगा अक्षय मिश्रा की गिरफ्तारी की जानकारी जब मनीष की पत्नी मीनाक्षी को हुई तो उनको थोड़ी संतुष्टि मिली। ट्विटर पर उन्होंने लिखा अभी दो आरोपी पकड़े गए हैं। मगर जब तक सभी आरोपी सलाखों के पीछे न पहुंच जाएं और उनको सजा न मिल जाए तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

लोगों से अपील करते हुए लिखा कि इस लड़ाई में आप सभी का सहयोग की जरूरत है। मीनाक्षी का कहना है कि केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले। जिससे कम समय में ट्रायल पूरा और आरोपियों को सजा मिल सके। उन्होंने आरोपियों के लिए फांसी की सजा की मांग की है।

कानपुर। मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी को रविवार को नियुक्ति पत्र मिला तो वह भावुक हो गईं। कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) के अपर सचिव डॉ. गुडाकेश शर्मा ने मीनाक्षी को उनके बर्रा तीन स्थित घर पहुंचकर विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) पद का नियुक्ति पत्र सौंपा। केडीए अफसरों ने उन्हें सोमवार को कार्यभार संभालने के लिए आमंत्रित किया। साथ ही उनके शैक्षिक योग्यता के प्रमाणपत्र, आईडी प्रूफ आदि लाने का आग्रह किया।

उनका स्वास्थ्य प्रमाण पत्र सीएमओ की तरफ से जारी किया जाएगा। इस पर रुंधे हुए स्वर में मीनाक्षी ने कहा कि सोमवार को उनके पति की तेरहवीं है। मंगलवार को वह कार्यभार संभाल लेंगी। केडीए अफसरों के साथ पहुंचे भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने मीनाक्षी के दस्तावेजों का तत्काल सत्यापन कराने के निर्देश दिए, जिससे उनकी नियुक्ति में कोई अड़चन न रह जाए।