नई दिल्ली। अमेरिका के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने कहा है कि अगले साल पूरे उत्तरी गोलार्ध में ‘सुपर अल नीनो’ (El Nino) का असर देखने को मिल सकता है. एजेंसी के मुताबिक इस बात की 75-85 फीसदी आशंका है कि यह अल नीनो बहुत ताकतवर होगा. इसके चलते नवंबर से जनवरी के बीच भूमध्य रेखीय समुद्र का तापमान औसत 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है.

क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने कहा है कि इस सुपर अल नीनो की वजह से पूरी दुनिया के मौसम पैटर्न पर असर पड़ेगा. तमाम तरह की आपदाएं भी आ सकती हैं. इस बात की 30 फीसदी आशंका है कि इस अल नीनो की वजह से तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. जिससे भयंकर गर्मी पड़ेगी. इसके अलावा सूखा और बाढ़ जैसी आपदाएं आ सकती हैं.

साल 1997-98 और 2015-16 में ठीक इसी तरह का सुपर अल नीनो आया था. तब भी तापमान में बढ़ोतरी हुई थी और कई देशों में सूखा तो कई जगह बाढ़ की समस्या देखी गई थी. ‘द वेदर चैनल’ के मुताबिक इस अल नीनो के बाद इस बात की अधिक संभावना है कि लंबे समय में वर्षा और संभवतः सर्दियों का तापमान भी प्रभावित होगा.

रिपोर्ट के मुताबिक इस अल नीनो का असर ग्लोबल इकोनॉमी और खेती पर दिखेगा. कई देशों में फसद उत्पादन पर नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है. साउथ अफ्रीका, साउथ ईस्ट एशिया, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देश सर्वाधिक प्रभावित हो सकते हैं, जहां पहले से ही तापमान गर्म होता है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर भारत के संदर्भ में देखें तो कई इलाके ऐसे हैं, जहां पहले से ही पानी का संकट है और वहां सिंचाई के लिए बमुश्किल पानी मिलता है. ऐसे में अल नीनो की वजह से सूखे की समस्या पैदा हो सकती है. खाद्यान्न संकट भी पैदा हो सकता है.

हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का अनुमान है कि भारत में सुपर अल नीनो का असर सामान्य ही रहेगा. जिस वक्त इस अल नीनो की आशंका जताई गई है, वह नॉर्थ ईस्ट मॉनसून का वक्त होता है, जो अक्टूबर से दिसंबर तक चलता है. मौसम विभाग ने कहा है कि इस अल नीनो के बावजूद दक्षिण भारत में सामान्य बारिश हो सकती है.

आसान भाषा में कहें तो अल नीनो एक ऐसा इफेक्ट है, जिसकी वजह से तापमान बढ़ हो जाता है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, तब अल नीनो का इफेक्ट दिखाई देता है.

जैसे ही मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर का तापमान बढ़ता है, तो पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गर्म तापमान वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ता है और यह भारत पर असर डालता है. अल नीनो अपने साथ भीषण गर्मी लाता है. राजस्थान जैसे रेगीस्तानी जैसे इलाकों में सूखे के हालात बन सकते हैं.