मेरठ। मेरठ में मिलावटी खाद् पदार्थों को लेकर लगातार कार्रवाई होती रहती है लेकिन बावजूद इसके मिलावट का खेल बदस्तूर जारी है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने आंकड़े जारी करते हुए बड़ा खुलासा किया है।बाजार में खाने-पीने की आधे से ज्यादा चीजों में मिलावट है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की एक जनवरी 2023 से लेकर 31 दिसंबर 2023 तक की रिपोर्ट में 57.80 प्रतिशत नमूने फेल निकले हैं। इस दौरान खाद्य पदार्थों के 481 नमूने लिए गए, जिनमें 278 मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं।

नमूने पनीर, दूध, बेसन, घी, कचरी, सॉस, तेल, नमकीन और मिठाइयों आदि के हैं। कचरी और सॉस में खरनाक रंग मिलाए गए थे, जबकि दूध, घी और पनीर में अलग से फैट मिलाया गया था। बेसन में भी केमिकल की मिलावट निकली हैमिठाइयों को चमकाने के लिए ज्यादा मात्रा में फूड कलर मिलाया गया था। सरसों के तेल में पाम आयल निकला। मिलावट करने वालों के खिलाफ कोर्ट ने 4 करोड़, 40 लाख 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है, हालांकि मिलावटखोर फिर भी सुधर नहीं रहे हैं, क्योंकि अक्सर ज्यादातर खाद्य पदार्थों की रिपोर्ट मानकों पर खरी उतरती है।

लचर प्रशासनिक कार्यप्रणाली के कारण मिलावटखोरों पर पूरी तरह से शिकंजा नहीं कस पाता है। मिलावट के लगभग सभी मामलों में जुर्माना लगता है, सजा नहीं हो पाती है। जिले में पिछले पांच साल में सजा का कोई मामला नहीं है। हालांकि, भारतीय दंड संहिता में मिलावटखोरों पर कड़ी सजा का प्रावधान हैमिलावटी खाने से किडनी और पेट संबंधी रोग हो सकते हैं। ऐसे खाने से दूर रहें। मिलावटी तेल और घी का दिल पर तेजी से असर होता है। धमनियों में चिकनाई जम जाती है। हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। –