सीकर जिले के जाजोद थानाधिकारी अशोक कुमार के अनुसार अभी तक प्रदीप और शंकर के घर की तलाशी नहीं ली गई है ना ही उनके परिजनों से कोई पूछताछ की गई है। जेल से बाहर आने के बाद शंकरलाल दुसाद ज्यादातर जयपुर ही रहता था। हालांकि उसे पुलिस द्वारा चलाए गए कई अभियानों में पाबंद किया गया था। जबकि प्रदीप जयपुर में रहकर ही फाइनेंस का काम करता था। तीनों किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए ये अयोध्या के संवेदशील इलाकों में रेकी कर रहे थे। तीनों से पूछताछ की जा रही है। यूपी एटीएस के अनुसार उन्हे सूचना मिली थी कि एक गैंगस्टर अपने कुछ साथियों के साथ सड़क मार्ग से अयोध्या आ रहा है। सूचना पर एटीएस की टीम ने हरियाणा नंबर की सफेद स्कॉर्पियो की तलाश ली और इन्हें पकड़ा

कि शंकर लाल गैंगस्टर राजू ठेहट का करीबी रह चुका है। 2022 में राजू की मौत होने के बाद गैंग के ज्यादातर काम यही देखा था। जेल से छूटने के बाद इसने मेघालय में माइनिंग और राजस्थान में ट्रांसपोर्ट का काम भी शुरू किया। जेल से बाहर आने के बाद यह अपने गांव जाजोद और जयपुर में ज्यादा रहता था। पूछताछ में शंकरलाल ने बताया है उसे खालिस्तानी समर्थकों से लगातार निर्देश मिलते रहते थे। अन्य आरोपी प्रदीप पूनिया पुत्र राजेंद्र सिंह भी जाजोद थाना इलाके के ढालियावास गांव का रहने वाला है। वहीं अजीत कुमार शर्मा झुंझुनू का। जेल से बाहर आने के बाद शंकर के साथ ज्यादातर अजीत और प्रदीप की रहते थे।