अयोध्या । सीएम योगी ने मंदिर के प्रागण में एक बच्चे को गोद में लेकर उसे खिलाते हुए नजर आए। उन्होंने मासूम को गोद में लेकर कई बार उछालते हुए पुचकारा भी। उन्होंने कहा कि ये हमारी संस्कृति है जहां हर बच्चे में भगवान राम के दर्शन होते हैं।

अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए। पूरे विधि-विधान के साथ भगवान के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई। समारोह में देश भर की तमाम हस्तियां इस ऐतिहासिक पल का गवाह बने। कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक अलग ही रूप देखने को मिला। सीएम योगी ने मंदिर के प्रागण में एक बच्चे को गोद में लेकर उसे खिलाते हुए नजर आए। उन्होंने मासूम को गोद में लेकर कई बार उछालते हुए पुचकारा भी। उन्होंने कहा कि ये हमारी संस्कृति है जहां हर बच्चे में भगवान राम के दर्शन होते हैं।

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “प्रभु राम लला के भव्य, दिव्य और नव्य धाम में विराजने की आप सभी को कोटि-कोटि बधाई। मन भावुक है। निश्चित रूप से आप सब भी ऐसा महसूस कर रहे होंगे, आज इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत का हर नगर, हर ग्राम अयोध्या धाम है। हर मन में राम नाम है। हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगी है। हर जुबान राम नाम जप रही है। रोम-रोम में राम रमे हैं…ऐसा लगता है कि हम त्रेतायुग में आ गए हैं।

मुख्यमंत्री सीएम योगी ने कहा कि 500 वर्षों के सुदीर्घ अंतराल के बाद आए प्रभु श्री रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर आज पूरा भारत भाव-विभोर और भाव विह्वल है। श्री अवधपुरी में श्री रामलला का विराजना भारत में ‘रामराज्य’ की स्थापना की उद्घोषणा है। ‘सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती’ की परिकल्पना साकार हो उठी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर मन में राम नाम हैं। हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगा है। हर जिह्वा राम-राम जप रही है। रोम रोम में राम रमे हैं। पूरा राष्ट्र राममय है। ऐसा लगता है हम त्रेतायुग में आ गए हैं। आज रघुनन्दन राघव रामलला, हमारे हृदय के भावों से भरे संकल्प स्वरूप सिंहासन पर विराज रहे हैं। आज हर रामभक्त के हृदय में प्रसन्नता है, गर्व है और संतोष के भाव हैं।

सीएम ने आगे कहा कि भाग्यवान है हमारी पीढ़ी जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं और उससे भी बड़भागी हैं वो जिन्होंने सर्वस्व इस राम-काज के लिए समर्पित किया है और करते चले जा रहे हैं। जिस अयोध्या को “अवनि की अमरावती” और “धरती का वैकुंठ” कहा गया, वह सदियों तक अभिशिप्त रही। उपेक्षित रही। सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही। अपनी ही भूमि पर सनातन आस्था पददलित होती रही, चोटिल होती रही। किंतु राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है और भारतीय समाज ने संयम बनाये रखा। लेकिन हर एक नए दिन के साथ हमारा संकल्प और दृढ़ होता गया। और आज देखिए… पूरी दुनिया अयोध्या जी के वैभव को निहार रही है। हर कोई अयोध्या आने को आतुर है।