मेरठ। मेरठ नगर निगम में गिरोह बनाकर भ्रष्टाचार का बड़ा खेल चल रहा है। महानगर में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाली 188 गाड़ियों में से 43 गाड़ी निगम के डिपो से गायब हैं। हकीकत में ये गाड़ियां सिर्फ कागजों में चल रही हैं। एनजीटी की कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र में भी नगर निगम के अधिकारियों ने इन 43 गाड़ियों को कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की सूची में दर्शाया है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में भी निगम के अधिकारियों ने जो शपथ पत्र दिया है उस सूची में भी ये गाड़ियां हैं।
महानगर में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम और बीवीजी कंपनी का अनुबंध है। करीब ढाई साल में निगम इस कंपनी को 37 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है। निगम ने लिखित में 188 गाड़ी कंपनी को कूड़ा उठाने के लिए दे रखी हैं। इन सभी का रजिस्ट्रेशन नियमानुसार नगर निगम के नाम होना चाहिए, लेकिन इन गाड़ियों की पड़ताल की गई तो पता चला कि 43 गाड़ी निजी लोगों के नाम हैं, जबकि निगम और बीवीजी कंपनी के दस्तावेजों में इन्हें कूड़ा उठाने में दर्शाया हुआ है।
हकीकत में ये कूड़ा नहीं उठा रही हैं। यानी इन गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल, रखरखाव, ड्राइवर और कूड़ा उठाने वाले कर्मचारियों का वेतन लिया जा रहा होगा। हालांकि यह जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि इन गाड़ियों के लिए कितना पैसा लिया जा रहा है। इस भ्रष्टाचार में निगम और बीवीजी कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारी की भूमिका होने का अंदेशा है। इससे निगम और कंपनी के अधिकारियों में खलबली मची हुई है। कूड़ा निस्तारण को लेकर एनजीटी में शुक्रवार को सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ता लोकेश खुराना का कहना है कि नगर निगम ने शहर से कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की लिस्ट एनजीटी में प्रस्तुत की है, जिनमें से 43 गाड़ियां निजी लोगों की मिलीं।
डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन, कूड़ा प्लांट और गाड़ियों में भ्रष्टाचार नगर निगम ही करेगा तो स्वच्छता सर्वे में कैसे पास होगा। अशोका लीलैंड की जगह महिंद्रा कंपनी का हाईवा ट्रक का मामला अभी ठंडा हुआ नहीं था कि अब कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों में भ्रष्टाचार सामने आ गया। एक के बाद एक भ्रष्टाचार की पोल खुल रही है, इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है।
नगर निगम और बीवीजी कंपनी के दस्तावेज में निजी लोगों की गाड़ियां लिखापढ़ी में हैं, लेकिन जब इनकी पड़ताल की तो पता चला कि सचिन कुमार की बोलेरो, मनीष कुमार की बोलेरो, चांद मोहम्मद की बोलेरो, अशोक कुमार की सुपरो वीएक्स, वीआर ट्रेडिंग की सुपरो वीएक्स, राहुल कुमार की सुपरो वीएक्स, अभिषेक कुमार की दो टाटा एलपीटी, दिल्ली ग्लोबल स्कूल की सुपरो वीएक्स, साहिब की जेसीबी समेत अन्य लोगों की गाड़ियां हैं। ये सभी गाड़ियां निगम के डिपो में नहीं हैं।
अमर उजाला ने आरटीओ और निगम के अधिकारियों से इसकी पुष्टि की। दस गाड़ी के नंबर निगम के अधिकारियों को भेजे और पड़ताल कराई, जिसमें स्पष्ट हो गया कि नगर निगम और बीवीजी कंपनी के दस्तावेज में ये गाड़ियां हैं, लेकिन धरातल पर नहीं हैं।
क्या कहते हैं अधिकारीयह गंभीर मामला है। डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की लिस्ट देखी गई, जिसमें कई गाड़ियों के नंबर मिले हैं, जोकि नगर निगम में नहीं हैं। इसकी जांच शुरु करा दी है। इन गाड़ियों के पेट्रोल-डीजल, रखरखाव और ड्राइवर का भुगतान हो रहा है या नहीं, इसकी भी जांच होगी।
नगर निगम की 188 गाड़ियां हमारे पास हैं, जिनसे शहर का कूड़ा उठाया जाता है, जो 43 गाड़ियां लिस्ट में हैं, वह कहां हैं। इसकी जानकारी मुझे नहीं है। सब गाड़ियों की अलग-अलग लिस्ट निगम के अधिकारियों को भेज दी है।