नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब उत्तर प्रदेश एक नए चुनावी रण के लिए तैयार है। राज्य में अगले कुछ महीनों के भीतर 10 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। इसमें से 9 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जो बीजेपी और समाजवादी पार्टी के विधायकों के सांसद बनने की वजह से खाली हुई हैं।

एक विधानसभा सीट सीसामऊ इस वजह से खाली हुई है क्योंकि इस सीट से सपा विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई है और अब उनकी विधानसभा की सदस्यता जाने वाली है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे चुके हैं। वह इस चुनाव में कन्नौज से लोकसभा के सांसद चुने गए हैं। मिल्कीपुर सीट से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद (अयोध्या) संसदीय सीट से चुने गए हैं। वह भी अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे चुके हैं।

यह उपचुनाव उत्तर प्रदेश में सरकार चला रहे एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन दोनों के लिए ही अहम है। लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए खराब रहे हैं जबकि सपा और कांग्रेस ने इन चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है।

सपा इस बात पर विचार कर रही है कि करहल विधानसभा सीट से सबसे बेहतर उम्मीदवार कौन होगा। अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव का नाम इस सीट के उम्मीदवारों में आगे चल रहा है। तेज प्रताप यादव को लोकसभा चुनाव में पहले कन्नौज सीट से उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन बाद में पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद ही यहां से चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया।

2022 के विधानसभा चुनाव तक उपचुनाव वाली इन सीटों में से अधिकतर सीटों पर सपा और बीजेपी चुनावी लड़ाई में थे लेकिन लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन के सहयोगी के तौर पर इनमें से कुछ सीटों पर दावेदारी कर सकती है। कांग्रेस ने इस बात का संकेत भी दिया है।

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हमारी पहली प्राथमिकता इन सीटों पर सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने की होगी क्योंकि हम लोकसभा चुनाव में कामयाब रहे इस गठबंधन को आगे ले जाना चाहते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम अकेले लड़ने पर भी विचार कर सकते हैं। हम इनमें से कुछ सीटों पर जरूर चुनाव लड़ेंगे।’
सभी राजनीतिक दलों के सामने पहला काम जल्दी से जल्दी अपने उम्मीदवारों का चयन करना है, जिससे वे चुनावी लड़ाई में आगे दिख सकें।

करहल में सबसे बड़ा चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा। अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल को 67000 वोटों के अंतर से हराया था। बघेल आगरा की लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। उन्हें फिर से भारत सरकार में मंत्री बनाया गया है। माना जा रहा है कि इससे बघेल करहल सीट पर बीजेपी को जीत दिलाने के लिए और ताकत लगाएंगे।

दूसरा जोरदार मुकाबला मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होगा। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के उम्मीदवार बाबा गोरखनाथ को 13000 वोटों से हराया था। अवधेश प्रसाद पासी (दलित) समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

मिल्कीपुर सीट को भाजपा सपा से छीनना चाहेगी और ऐसा करके वह लोकसभा चुनाव में फैजाबाद में मिली हार का बदला लेने की कोशिश करेगी। फैजाबाद लोकसभा सीट पर पासी उम्मीदवार से बीजेपी को हार मिली है। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि इसलिए बीजेपी मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में पासी उम्मीदवार को उतारने पर विचार कर रही है।

कटेहरी सीट लालजी वर्मा के अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। लालजी वर्मा ने यहां से बीजेपी के उम्मीदवार रितेश पांडे को हराया था। उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सहयोगी दल निषाद पार्टी भी इस सीट पर अपनी दावेदारी कर सकती है क्योंकि यहां से उसके उम्मीदवार अवधेश कुमार 2022 के विधानसभा चुनाव में नजदीकी मुकाबले में हारे थे।

2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी के टिकट पर मंझवा सीट से चुनाव जीते विनोद कुमार बिंद इस बार बीजेपी के टिकट पर भदोही सीट से चुनाव जीते हैं। इसलिए निषाद पार्टी बीजेपी से उसे यह सीट देने के लिए कह सकती है।

कुंदरकी में भी होगा उपचुनाव
उपचुनाव वाली सीट का नाम 2022 में कौन जीता कहां से चुने गए सांसद
कुंदरकी जिया उर रहमान मुरादाबाद
खैर अनूप प्रधान वाल्मीकि हाथरस
फूलपुर प्रवीण पटेल फूलपुर
गाजियाबाद अतुल गर्ग गाजियाबाद
मीरापुर में जीत दिलाना जयंत की जिम्मेदारी
10 विधानसभा सीटों का यह उपचुनाव एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होगा। 2022 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी ने मीरापुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। तब आरएलडी सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी।

मीरापुर सीट से चुनाव जीते चंदन चौहान इस बार बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है इसलिए इस सीट पर एनडीए के उम्मीदवार को जीत दिलाने की जिम्मेदारी जयंत चौधरी की ही होगी।