2017 विधानसभा चुनाव में सपा मेरठ जिले की सात में से सिर्फ शहर विधानसभा सीट ही जीत पाई थी। मेरठ दक्षिण और कैंट सीट गठबंधन में कांग्रेस के पास थी, जबकि अन्य चार सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा की लहर के बावजूद शहर से सीट से रफीक अंसारी ही जीते थे, इसलिए उनकी दावेदारी इस बार भी मजबूत है। हस्तिनापुर सीट से दो बार विधायक रहे प्रभुदयाल वाल्मीकि और बसपा से सपा में आए पूर्व विधायक योगेश वर्मा के बीच टिकट के लिए तगड़ी जंग है। विपिन मनोठिया और प्रशांत गौतम भी दावेदार हैं।
पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर खेमा यहां से प्रशांत गौतम का टिकट चाहता है, जबकि अतुल प्रधान, योगेश वर्मा के पक्ष में हैं। सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह, विपिन मनोठिया के लिए प्रयासरत हैं। तीन बार किठौर से जीते पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर की किठौर से दावेदारी है तो रालोद की मांग वाली सिवालखास सीट से सपा में पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद का दावा है। सरधना से अतुल प्रधान ने लगातार दो चुनाव लड़े हैं और इस बार भी वह टिकट के लिए दावा ठोक रहे हैं।
कांग्रेस और आप की सक्रियता ने बढ़ाई बेचैनी
पिछले दिनों जिस तरह से विभिन्न मुद्दों को लेकर कांग्रेस यूपी में मुखर रही है और सड़क पर उतरी है, इससे सपा में बेचैनी है। भाजपा का विकल्प साबित करने के लिए पार्टी ने संघर्ष शुरू कर दिया है। आप भी अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है। आप पहली बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में उतरने जा रही है। पार्टी ने यूपी में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।
ओवैसी से नहीं पड़ेगा फर्क
एआईएमआईएम के चुनाव लड़ने से सपा के किसी प्रत्याशी पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। सपा कार्यकर्ता प्रत्याशी को जिताएंगे। सपा की वोट नहीं कटेंगी। – शाहिद मंजूर, पूर्व कैबिनेट मंत्री
हाईकमान तय करेगा
किसको कहां से टिकट देना है यह पार्टी हाईकमान तय करेगा। इस बार सपा की सरकार बनने जा रही है, जो भी प्रत्याशी लड़ेगा वह जीतेगा। – राजपाल सिंह, जिलाध्यक्ष, सपा
बीजेपी की प्रचंड लहर में भी मिली थी जीत
भाजपा की प्रचंड लहर में जनता ने मुझे जिताया। इस बार भी जनता का पूरा प्यार मिल रहा है। एआईएमआईएम का प्रत्याशी तो पिछली बार भी शहर सीट से लड़ा था।