पणजी. गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं. गुरुवार को उत्पल ने बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि आगामी विधानसभा चुनाव में पणजी से उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्हें ‘कठिन फैसला’ करना होगा. इस दौरान उत्पल पर्रिकर ने यह भी भरोसा जताया कि गोवा विधानसभा चुनावों में बीजेपी उन्हें टिकट जरूर देगी.

उत्पल पर्रिकर ने कहा, ”मैंने पार्टी को पहले ही कह दिया है कि मैं पणजी से चुनाव लड़ना चाहता हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि पार्टी मुझे टिकट देगी.” सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अतानासियो मोनसेरेट, 9 अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 2017 का चुनाव जीता था.

बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर क्या करेंगे
अगर बीजेपी से उत्पल पर्रिकर को टिकट नहीं मिला तो वह क्या करेंगे इस पर उन्होंने कहा कि यह इस बारे में बात करने का समय नहीं है. उन्होंने कहा, ”मुझे अभी उस पर बात करने की जरूरत नहीं है. मनोहर पर्रिकर को उनके जीवन में कुछ आसानी से नहीं मिला. इसी तरह मुझे भी काम करना होगा. मुझे कुछ कठिन फैसला करने पर भी मजबूर किया जा सकता है और मैं शक्ति के लिए पार्थना करता हूं, मुझे ये फैसले लेने हैं.”

उन्होंने कहा, ”जब फैसला लेने का समय आएगा, मैं लोगों की सुनूंगा. मैंने पार्टी से कह दिया है और मुझे विश्वास है कि पार्टी मुझे टिकट देगी. मुझे विश्वास है.”

उल्लेखनीय है कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 40 सदस्यीय सदन में सबसे अधिक 17 सीटें जीती थीं और बीजेपी को 13 सीटें मिली थीं. हालांकि, बीजेपी ने दिवंगत मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया था. पिछले पांच सालों में कांग्रेस के 13 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं और ज्यादातर बीजेपी में चले गए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक लुइज़िन्हो फलेरो हाल में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.

गुजरात के सूरत के डिंडोली में रहने वाले प्रयाग हंसराज घोनिया ने अंगदान कर मौत से जूझ रहे आठ लोगों को नया जीवन दिया है. प्रयाग 7 नवंबर को मुंबई से सूरत के अपने घर जिस कार से लौट रहे थे, उस कार का टायर फट गया और वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे. डॉक्‍टर्स ने उनका आपरेशन किया, लेकिन ब्रेन में खून के थक्‍कों के कारण उन्‍हें 15 नवंबर को उन्‍हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. 23 साल के बेटे को खोने वाले माता-पिता ने प्रयाग के अंगदान करने का

सूरत. गुजरात के सूरत के डिंडोली में रहने वाले प्रयाग हंसराज घोनिया ने अंगदान कर मौत से जूझ रहे आठ लोगों को नया जीवन दिया है. प्रयाग 7 नवंबर को मुंबई से सूरत के अपने घर जिस कार से लौट रहे थे, उस कार का टायर फट गया और वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्‍हें सिर, रीढ़ की हड्डी समेत कई गंभीर चोटें आई थीं. स्‍थानीय सरकारी अस्‍पताल में आपरेशन के बाद आगे के इलाज के लिए उन्‍हें निजी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था. यहां डॉक्‍टर्स ने उनका आपरेशन किया, लेकिन ब्रेन में खून के थक्‍कों के कारण उन्‍हें 15 नवंबर को उन्‍हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया.

अपने 23 साल के बेटे को खोने वाले माता-पिता ने प्रयाग के अंगदान करने का निर्णय लिया. उन्‍होंने डोनेट लाइफ नामक एक एनजीओ से मदद ली. डॉक्‍टर्स की मदद से प्रयाग के दिल, फेफड़े, लिवर, किडनी और कॉर्निया को दान करने का फैसला किया. इससे उन आठ लोगों को नया जीवन मिला जो हर सांस के साथ जिंदगी खो रहे थे. इनमें से एक चेन्‍नई के अस्‍पताल में भर्ती युवा मरीज था, जिसे प्रयाग के फेफड़े लगाए गए हैं. वह उम्र में प्रयाग के बराबर ही है. प्रयाग ऑनलाइन साड़ी बेचने का काम करते थे.

एनजीओ की मदद से, जाइडस अस्पताल और सीआईएमएस अस्पताल, अहमदाबाद में दो रोगियों को किडनी दान की गई. इसी तरह प्रयाग का लिवर, अहमदाबाद के किडनी रोग और अनुसंधान संस्थान में भर्ती मरीज को दान कर उसकी जान बचाई गई. वहीं, प्रयाग की आंखें, आई बैंक को दान कर दी गईं. खबर के मुताबिक, प्रयाग के डोनेशन में 38वीं बार हार्ट डोनेट किया गया और 12वीं बार एक जोड़ी फेफड़ों ने किसी और की जान बचाई.

सूरत में पहले भी हुए है अंगदान
सूरत ने प्रयाग जैसे दानवीर कुछ अन्य लोगों को भी देखा है जिन्होंने अपनी मृत्यु के बाद कई लोगों की जान बचाई है. उदाहरण के लिए, जून में, सूरत के एक व्यापारी दिनेश छाजेड़ को लकवा हो गया था, जिसके परिणामस्वरूप दिनेश ने अंतिम सांस ली. उनकी मृत्यु के बाद, दिनेश के अंग दान किए गए, जिससे छह लोगों की जान बचाने में मदद मिली.