लखनऊ. हाथरस भगदड़ जिस नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में हुई है, वो कासगंज जिले के पटयाली का रहने वाला है. उसका असली नाम सूरज पाल सिंह बताया जा रहा है. बाबा पुलिस में नौकरी करता था. लेकिन 17 साल पहले अचानक नौकरी छोड़ी, अपना नाम नारायण साकार हरि रखा और सत्संग करने लगा. अलीगढ़, हाथरस, एटा, कासगंज के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी भोले बाबा के भक्त हैं. जिनकी संख्या लाखों में है.
सूट-बूट, चश्मे वाले बाबा
भोले बाबा पुलिस में किस पद पर था, इसको लेकर भी कई तरह की बाते हैं. कहीं कांस्टेबल तो कहीं दारोगा होने की बात कही जा रही है. तो ये भी चर्चा है कि वो आईबी में रहा है. नारायण साकार हरि की वेशभूषा बाबाओं की तरह नहीं है. वो सूट-बूट पहनता है और चश्मा भी लगाता है. सत्संग में सिंहासन पर बैठता है. बाबा के अनुयायियों में महिलाओं की संख्या अधिक है. अधिकतर मध्यम वर्गीय, गरीब और वंचित लोग सत्संग में पहुंचते हैं.
कई आश्रम भी बनाए
नारायण साकार हरि ने अपने कई आश्रम भी बना रखे हैं. एक आश्रम उसका पैतृक गांव कासगंज के पटियाली में है. वहीं दूसरा आश्रम बहादुर नगर में हैं. यहां प्रत्येक मंगलवार को सत्संग होता है. यदि बाबा किसी अन्य जगह होते हैं तो आश्रम में सत्संग नहीं होता है.
पुलिस की नौकरी छोड़कर बन गए बाबा
भोले बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं. भोले बाबा के एक भक्त ने बताया कि उनके जीवन में कोई गुरु नहीं है. वीआरएस लेने के बाद उन्हें अचानक भगवान से साक्षात्कार हुआ और उसी समय से उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया. भगवान की प्रेरणा से उन्होंने जान लिया कि यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है. उनका असली नाम सूरज पाल है. वो कासगंज के रहने वाले हैं.
50 लोगों की मांगी इजाजत, जमा कर दिए 50 लाख भक्त
उन्होंने बताया कि हर मंगलवार को वो सत्संग करते हैं. इससे पहले मैनपुरी में सत्संग हुआ है. इसके बाद यहां शुरू किया गया. बताया जा रहा है कि कोरोना के समय भी भोले बाबा का सत्संग कार्यक्रम विवादों में आया था. तब उन्होंने अपने सत्संग के लिए सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन बाद में 50 हजार से ज्यादा लोग उनके सत्संग में आ गए थे. भारी भीड़ के चलते प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी.
इसलिए हुआ हादसा
बताया जा रहा है कि लगभग 50 हजार की संख्या में अनुयायियों को सेवादारों ने जहां थे, वहीं रोक दिया. सेवादारों ने साकार हरि बाबा के काफिले को वहां से निकाला. उतनी देर तक वहां अनुयायी गर्मी और उमस में खड़े रहे. बाबा के काफिले के जाने के बाद जैसे ही सेवादारों ने अनुयायियों को जाने के लिए कहा, वहां भगदड़ की स्थिति बन गई और यह हादसा हो गया.