बदायूं। बदायूं में हत्या का बदला लेने के लिए 17 साल पहले जरीफनगर के गांव खरखोल में हुई पान सिंह की हत्या के मामले में विशेष न्यायालय (डकैती) ने एक ही परिवार और उससे जुड़े 14 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दो आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है। इन सभी ने घर में लूटपाट के बाद पान सिंह को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला था। छह दोषियों पर 50-50 हजार रुपये और आठ पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
खरखोल गांव में 2007 में राधेश्याम की हत्या कर दी गई थी। पान सिंह के पिता हरपाल सिंह ने रिपोर्ट लिखाई थी कि राधेश्याम की हत्या के आठ दिन बाद ही 15 फरवरी की सुबह आठ बजे उसके परिजनों ने फरसा व अन्य असलहों के साथ उनके यहां हमला बोल दिया। फायरिंग करते हुए घरों में रखा सामान, बच्चों के जेवर, कपड़ा आदि सामान लूट लिया। जाते समय इन लोगों ने बेटे पान सिंह को घर से खींच लिया और मंदिर के पास कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया।
हत्या व डकैती की धाराओं में दर्ज रिपोर्ट में हरपाल की ओर से 12 लोगों को नामजद किया गया था। पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल करते समय चार और नाम शामिल किए। इन कुल 16 आरोपियों में से दो की मौत हो गई। अदालत में सुनवाई के बाद 23 जुलाई को विशेष न्यायाधीश रेखा शर्मा ने राधेश्याम के सगे भाई उरमान समेत 14 लोगों को दोषी करार दिया था। ये सभी जमानत पर थे। बृहस्पतिवार को इन सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सभी को जेल भेज दिया गया।
इन्हें हुई उम्रकैद
सजा पाने वालों में राधेश्याम का सगा भाई उरमान, धर्म सिंह व चाचा भरोसे, चचेरा भाई अतर सिंह तथा परिवार से जुड़े राम सिंह पुत्र कोमिल, नरेश पुत्र रामचंद्र, भगवान सिंह पुत्र करन सिंह, विनीत पुत्र राम सिंह, प्रेम सिंह पुत्र बेनी हैं। इनके साथ रहे मझोला के वीरपाल पुत्र बालकिशन, वंशीपुर गांव बलवीर पुत्र रोहन, गोबरा निवासी टीटू पुत्र नक्षत्र पाल, बहजोई थाना क्षेत्र के गांव कैलमुंडी निवासी धर्मवीर पुत्र अजय पाल व एक अन्य श्रीपाल शामिल हैं। मुकदमा के विचारण के दौरान आरोपी साधु सिंह और रामऔतार की मौत हो चुकी है।
’17 साल बाद कलेजे को मिली ठंडक’
17 साल बाद जब पति पान सिंह के हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो पत्नी सौद्रा ने कहा कि अब उनके कलेजे ठंडक मिली। निर्दोष पति की निर्मम हत्या के बाद उसने रो-रोकर यह समय बिताया है। पिता भी बेटे के संताप में अब बुजुर्ग हो चले हैं। भाइयों ने केस की पैरवी की, इसके बाद दोषियों को सजा मिली। सौद्रा ने खून पसीना एक कर दोनों बेटों की परवरिश की है। अब फैसला सुनकर राहत महसूस हुई है।
जरीफनगर के गांव खरखोल निवासी पान सिंह की गई थी। हत्या करने आए लोग घर का सारा सामान लूट ले गए थे। सौद्रा ने कहा कि पान सिंह की जब हत्या हुई थी उस समय उसके पास एक बेटा वेदप्रकाश दो साल का था। वह उस समय गर्भवती थीं।
दो माह बाद उसने बेटे को जन्म दिया। परिजनों ने उसका नाम अखिलेश रखा। अब उसकी उम्र 17 साल होने वाली है। अखिलेश ने पिता का मुंह तक नहीं देखा था। वह पिता की सूरत से अनजान रहा। बृहस्पतिवार को जब उसके पिता के हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा हुई तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए।
बुजुर्ग पिता हरपाल ने कहा कि 17 साल पहले जवान बेटे को खोया था। तब से अब तक भरपेट खाना नहीं खाया, दुख और चिंता में समय बीता। मुकदमे की हर स्तर पर पैरवी कराई। अब दोषियों को सजा मिल सकी है। भगवान हमेशा न्याय करता है।