बरेली। बरेली के क्योलड़िया थाना क्षेत्र में पारिवारिक कलह के चलते मजदूर ने विषैला पदार्थ खा लिया। बेटे की हालत बिगड़ती देख उसकी 80 वर्षीय मां ने भी विषैला पदार्थ खा लिया। दोनों की अस्पताल में मौत हो गई। क्योलड़िया थाना क्षेत्र के धनौर जागीर गांव में सोमपाल (42) अपनी मां छंगो देवी, पत्नी जगदेई, बेटे मुनीष, दया और बेटी लज्जावती के साथ रहते थे। वह मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे। उनका बेटा मुनीष कक्षा दो में पढ़ता है।

उसकी यूनिफॉर्म के लिए बारह सौ रुपये सोमपाल के खाते में आए थे जो मोटरसाइकिल की किस्त में कट गए। इसी को लेकर शुक्रवार शाम सात बजे सोमपाल का पत्नी जगदेई से झगड़ा हो गया। इससे नाराज होकर उसने घर में रखा कीटनाशक पी लिया।

घर से कुछ दूर चौराहे पर जाकर वह तड़पने लगा। सूचना पाकर मां भी मौके पर पहुंचीं। बेटे को तड़पता देख उसने भी घर आकर दवा पी ली। मां-बेटे के विषैला पदार्थ खाने की खबर फैलते ही सोमपाल के घर भीड़ जुट गई। पुलिस ने दोनों को अस्पताल भिजवाया। सोमपाल को नवाबगंज के एक निजी अस्पताल में जबकि छंगो देवी को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।

सोमपाल की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। पिछले दिनों हुई बरसात में उनका कच्चा घर गिर गया था। इसके बाद उसकी पत्नी जगदेई बच्चों के साथ पड़ोसी की बैठक में शरण लिए हुई थी। सोमपाल मां के साथ टूटे हुए घर में पन्नी डालकर रह रहा था।

सोमपाल की शराब पीने की आदत के कारण भी पति-पत्नी में विवाद होता रहता था। सप्ताह भर पहले जगदेई सरकारी आवास की मांग करने तहसील गई थी। यहां कमजोरी के कारण वह बेहोश होकर गिर गई थी। जैसे-तैसे लोगों ने उसे घर पहुंचाया था।

जगदेई ने बताया कि बेटे मुनीष की यूनिफॉर्म के लिए बारह सौ रुपये खाते में आए थे। वह बेटे की यूनिफॉर्म और जूते खरीदना चाहती थी। सोमपाल ने काफी समय पहले बाइक ली थी। इसकी किस्तें उसके खाते से कटती थीं। खाते में आए बेटे की यूनिफार्म के रुपये किस्त में कट गए। सोमपाल इस बात को पत्नी से छिपा रहा था। जगदेई ने बताया कि शुक्रवार को जब उसने बैंक में जाकर जानकारी की तब उसे किस्त कटने की बात पता चली।

सोमपाल की आर्थिक स्थिति इस कदर खराब थी कि उसकी मौत होने के बाद शव को ढकने के लिए एक चादर तक घर वालों के पास नहीं मिली। प्रधान सुरभीक सिंह ने एक कपड़ा खरीद कर ओढ़ाया। उसके घर में न तो राशन है, न ही बर्तन। घटना के बाद बच्चों को पड़ोसियों ने भोजन कराया। दोनों शवों के दाह संस्कार तक के लिए जगदेई के पास रुपये नहीं हैं।