नई दिल्ली। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. पहले ही प्रधानमंत्री पद से उनका तख्ता पलट कर कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी है. अब उनपर बांग्लादेश में हत्या का मामला दर्ज किया गया है. शेख हसीना के अलावा अन्य छह लोगों को भी आरोपी बनाया गया है. बता दें, पिछले महीने बांग्लादेश में हुईं हिंसक झड़पों के दौरान किराने की एक दुकान के मालिक की मौत को लेकर हत्या का मामला दर्ज किया गया है. शेख हसीना के भारत भागकर आने के बाद यह उनपर पहला मामला दर्ज हुआ है.
बांग्लादेश की एक अखबार ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला एक किराने की दुकान के मालिक अबू सईद के शुभचिंतक ने दर्ज कराया है. अबू सईद की मोहम्मदपुर में आरक्षण आंदोलन के समर्थन में 19 जुलाई को निकाले गए जुलूस के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मौत हो गई थी. जिसके बाद उनके परिजनों और शुभचिंतकों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत कई अन्य लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कराया है. अन्य आरोपियों में अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून समेत कई और उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों और सरकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है.
बांग्लादेश में पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद देशभर में भड़की भयंकर हिंसा में 230 से अधिक लोग मारे गए. जुलाई के मध्य में पहली बार कोटा विरोधी प्रदर्शन शुरू होने के बाद से इस हिंसा में मरने वालों की कुल संख्या 560 हो गई है. हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. इस सरकार में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार बनाया गया है. यूनुस ने पिछले सप्ताह अपने 16-सदस्यीय सलाहकार परिषद के विभागों की घोषणा की.
समाचार पत्र डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को अवामी लीग की चिर प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी सहित सात राजनीतिक दलों ने यूनुस से अलग-अलग मुलाकात की और कहा कि अंतरिम सरकार स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए आवश्यक समय ले सकती है. वहीं सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनुस से आग्रह किया कि खालिदा जिया और कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान सहित पार्टी नेताओं के खिलाफ सभी मामले वापस ले लिए जाएं. बता दें, तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को जेल से रिहा कर दिया गया था. भ्रष्टाचार के लिए 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी.