लखनऊ। ऐसा लगता है कि लाखों राज्यकर्मियों को अपने वेतन की कोई चिंता ही नहीं हैं। अगर वेतन की चिंता होती तो सरकार के स्पष्ट आदेश पर सभी ने अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दे ही दिया होता। स्थिति यह है कि 8.34 लाख राज्यकर्मियों में से 3.47 लाख ने ही अब तक मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण दिया है। 58 प्रतिशत यानि 4.87 लाख राज्यकर्मियों ने अब तक संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है।
इन कार्मिकों द्वारा यदि 31 अगस्त की रात 12 बजे तक संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया गया तो उन्हें अगस्त माह का वेतन नहीं मिलेगा। दो दिन में संपत्ति का ब्योरा न देने वाले राज्यकर्मियों के खिलाफ सरकार और भी कड़े कदम उठाने की तैयारी में है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत राज्य के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को अब मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का वार्षिक ब्योरा देना है। नियमानुसार 31 दिसंबर 2023 तक की संपत्ति का ब्योरा इस वर्ष जनवरी में ही अनिवार्य रूप से सभी को दे देना था, लेकिन ज्यादातर कार्मिकों ने ब्योरा नहीं दिया। सरकार ने ब्योरा न देने वालों को पदोन्नत न करने का निर्णय किया। इस पर भी बहुत कम कर्मियों ने ही ब्योरा दिया। ऐसे में 30 जून को कार्मिक विभाग ने एक और शासनादेश जारी कर कहा कि 31 जुलाई तक संपत्ति का ब्योरा न देने वालों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी, फिर भी पोर्टल पर पंजीकृत ज्यादातर कर्मी संपत्ति का ब्योरा देने के लिए आगे नहीं आए।
चूंकि पोर्टल के माध्यम से संपत्ति का ब्योरा देने की व्यवस्था पहली बार लागू की गई इसलिए सरकार ने तमाम व्यावहारिक दिक्कतों को मानते हुए राज्यकर्मियों को संपत्ति का विवरण पोर्टल पर दर्ज करने के लिए 31 अगस्त तक की और मोहलत देने का निर्णय किया। इस संबंध में 17 अगस्त को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी शासनादेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि वर्ष 2023 के सापेक्ष चल-अचल संपत्ति का विवरण सभी कार्मिक 31 अगस्त तक अवश्य दर्ज कर दें। ऐसा न करने वाले कार्मिकों को अगस्त का वेतन नहीं मिलेगा।