नई दिल्ली। शराब का नशा दुनिया के सबसे खतरनाक नशों में से एक है. तभी तो कहते हैं कि ’डोन्ट ड्रिंक एंड ड्राइव’. मगर क्या शराब आपको ईमानदार भी बनाती है? अक्सर फिल्मों, वेब सीरीज और अन्य लिटरेचर में दिखाते हैं कि शराब पीकर इंसान बहक जाता है. उसके मुंह से न चाहते हुए भी सच निकल जाता है. तो क्या शराब पिलाकर एक तरह का ’लाई डिटेक्टर टेस्ट’ किया जा सकता है? एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसा संभव भी है और नहीं भी. आइए समझते हैं शराब और सच के कनेक्शन का फंडा.

क्या शराब के नशे में सच बोलता है इंसान?
ठीक-ठाक मात्रा में शराब पीने के बाद इंसान का अपनी जुबान पर खास कंट्रोल नहीं रहता. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे नशे में जो कुछ बोल रहे, वह सब सच है. नशे में धुत इंसान वह बोलता है जो उसे ’सच’ लगता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह सच हो. जैसे, खूब पीने के बाद कोई दोस्त बड़ी-बड़ी हांकने लगता है, लेकिन असल में वे बातें सच नहीं होतीं. बहुत लोग नशे में तमाम वादे भी करते हैं और नशा फटने पर सब भूल जाते हैं.

शराब का नशाः क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल एब्यूज एंड एल्कोहॉलिज्म में महामारी विज्ञान और बायोमेट्री शाखा के नेता आरोन व्हाइट कहते हैं, ’शराब पीने से हम अपने मन की बात कहने के लिए अधिक इच्छुक हो जाते हैं.’ उन्होंने कहा, ’कुछ मामलों में, यह सच हो सकता है. कुछ मामलों में, यह वही हो सकता है जो आप नशे की हालत में सच समझते हैं.’

अब तक की रिसर्च क्या बताती है?
शराब और ईमानदारी के सीधे कनेक्शन पर तो कोई स्टडी नहीं हुई है लेकिन व्यक्तित्व, भावना और दिमाग पर शराब के असर के बारे में रिसर्च से काफी कुछ पता चलता है. ’क्लिनिकल साइकोलॉजिकल साइंस’ जर्नल में 2017 में छपी एक स्टडी में पता लगाया गया कि शराब पीने से लोगों के व्यक्तित्व में किस तरह से बदलाव आया. शराब पीने के बाद सबसे बड़ा बदलाव यह था कि वे बहुत ज्यादा बहिर्मुखी (म्Ûजतवअमतज) हो गए.

उस रिसर्च में यह नहीं पता लगाया गया कि शराब असल में सच्चाई का सीरम है या नहीं. लेकिन यह समझ में आता है कि जो व्यक्ति खुद को सामाजिक सेटिंग में अधिक सहज महसूस करता है, उसके शराब पीने के बाद स्पष्टवादी होने की संभावना भी अधिक होती है.

शराब चीज ही ऐसी है…
शराब लोगों को अपने खोल से बाहर आने में मदद करती है. इससे उन्हें अपने मन की बात कहने में आसानी होती है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि भावनाओं पर इसका असर उन विचारों को और अधिक चंचल बना सकता है, जो दबे हुए हैं. ये बढ़ी हुई भावनाएं लोगों को उनके शांत मन की बात कहने के लिए प्रेरित कर सकती हैं. लेकिन वे किसी को अजीब स्थिति में भी डाल सकती हैं जहां वे कुछ ऐसा कह देते हैं जिसका उनका वास्तव में मतलब नहीं होता या बाद में उन्हें बहुत पछतावा होता है.

शरीर पर शराब का असर
शराब आपको असंयमित बनाती है, मतलब आवेग में कुछ करने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शराब दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में संकेतों को कम करती है. यह मस्तिष्क का ऐसा क्षेत्र है जो व्यवहार को नियंत्रित करता है. शराब अमिग्डाला को भी दबा देती है, जो दिमाग में भय और चिंता की भावनाओं को भड़काने के लिए जाना जाता है.