बता दें कि पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों के बाद ही किसान आंदोलन की शुरुआत हो गई थी. जब 3 नवंबर को पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने दिल्ली चलो का आह्वान किया, इसके बाद 26 और 27 नवंबर 2020 को इन राज्यों से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं की तरफ बढ़े. लेकिन, किसानों किसानों को दिल्ली में घुसने से रोका गया. सिंघू बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले छोड़े गये. पुलिस और किसानों का आमना सामना हुआ और फिर किसानों ने दिल्ली के के बॉर्डरों पर ही आंदोलन शुरू कर दिया.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि एक साल में किसान ने कुछ नहीं खोया है, बल्कि एकजुटता पाई है. राकेश टिकैत ने कहा है कि हमें तो एमएसपी पर गारंटी चाहिए, किसान को सीधा फायदा एमएसपी की गारंटी से होगा, सरकार दे नहीं रहे और फिर बहस छेड़ रहे हैं कि किसान नहीं मान रहे. राकेश टिकैत ने कहा है कि आंदोलन ठीक जा रहा है, यह खेत से संसद की ओर जा रहा है, यह खेत में चलेगा और मजबूती से आगे बढ़ेगा.