कानपुर : यूपी और अन्य राज्यों में ट्रेनों को पलटाने की साजिश के मामलों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। कानपुर में रेलवे की लूप लाइन के ट्रैक पर रविवार तड़के छोटा एलपीजी सिलिंडर बरामद होने के बाद गहनता से पड़ताल की जा रही है। हालांकि एटीएस अब तक इन मामलों में कोई साजिश है या शरारत, इसकी गुत्थी को सुलझा नहीं पाई है। अब सारी उम्मीदें एनआईए पर टिकी हैं।

बता दें, कानपुर में बीते कुछ दिनों में इस तरह का तीसरा मामला सामने आया है। तीनों प्रकरणों में एटीएस अथवा कानपुर पुलिस कमिश्नरेट को अब तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है। वहीं, रामपुर में ट्रैक पर टेलीफोन का खंभा मिलने के मामले में जीआरपी ने दो नशेड़ियों को गिरफ्तार किया है।

उन्होंने खंभा चोरी करने की बात कुबूली है, हालांकि उनके दावों की पड़ताल की जा रही है। पड़ोसी राज्यों में भी ऐसे मामले सामने आने पर एनआईए और आईबी की गोपनीय जांच जारी है।

एनआईए के अधिकारियों को शक है कि इसमें किसी मॉड्यूल का हाथ है, जो लगातार अपने आकाओं के निर्देश पर साजिश को अंजाम देने में लगा है। आईजी एटीएस नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि सभी प्रकरणों की जांच जारी है।

37 दिन के भीतर तीसरी बार रेलगाड़ी को बेपटरी करने की साजिश के बीच पुलिस के लिए मामलों की तेजी से जांच पूरी कर साजिशकर्ताओं तक पहुंचना और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाना बड़ी चुनौती बन गया है। कालिंदी और साबरमती ट्रेन को बेपटरी करने की साजिश की जांच अभी तक सिरे नहीं चढ़ सकी है।

कालिंदी एक्सप्रेस की जांच में जहां रेलवे की कमेटी की रिपोर्ट अभी तक नहीं आ सकी है। वहीं, साबरमती एक्सप्रेस को बेपटरी करने की कोशिश के मामले में चल रही जांच फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट न आने की वजह से अटकी हुई है।

अब पुलिस ने सैंपलों को लखनऊ की फॉरेंसिक लैब से वापस लाकर चंडीगढ़ स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक लैब भेजा है। हालांकि इस रिपोर्ट से इतर भी पुलिस के पास कोई खास सुराग हाथ नहीं लगा है। पुलिस अबतक सौ से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी है।

साथ ही सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को देखने के बाद भी पुलिस को कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है। अब इस नई घटना के सामने आने के बाद पुलिस के सामने सभी घटनाओं को किसी निष्कर्ष तक पहुंचाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मुजफ्फरनगर, मेरठ और दिल्ली तक की दौड़ भी लगाई, लेकिन अभी तक पुलिस खाली हाथ ही है।

साबरमती और कालिंद्री एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश सामने आने के बाद रेलवे और सिविल पुलिस ने हाईवे के किनारे से गुजरे रेलवे ट्रैक की अपने-अपने स्तर से निगरानी कराने का फैसला लिया था। कमिश्नरेट पुलिस ने हाईवे के किनारे से गुजरे रेलवे ट्रैक से संबंधित थानेदारों को निर्देश दिए थे कि सांझ ढलने के बाद भोर होने तक पुलिसकर्मियों को तय सीमा तक ट्रैक की निगरानी में लगाएं।

वहीं, आरपीएफ, जीआरपी और रेलवे की इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने भी अपने-अपने स्तर से ट्रैक की निगरानी करने की बात कही थी। अगर इतने विभाग हाईवे के किनारे से गुजरे रेलवे ट्रैक की निगरानी करने का दावा कर रहे हैं, तो कोई कैसे सिलिंडर रेलवे ट्रैक पर रखकर ट्रेन को बेपटरी करने की साजिश रच सकता है।

पुलिस, जीआरपी और आरपीएफ ने आरोपियों की पहचान के लिए गैस सिलिंडर एजेंसी और उसको भरवाने वालों से जानकारी जुटाई। घटनास्थल के नजदीक, रेलवे कालोनी और स्टेशन के पीछे की ओर काफी संख्या में देसी और अंग्रेजी शराब की बोतलें व डिस्पोजल गिलास मिले हैं, जिससे वहां पर अक्सर शराबियों के एकत्रित होने की आशंका लग रही है। जांच करने वाली टीम ने करीब दो दर्जन लोगों से पूछताछ की। कुछ युवाओं से भी जानकारी हासिल की है।

प्रेमपुर स्टेशन के आसपास रेलवे की ओर से दीवार बनाने का कार्य किया जा रहा है, जिसमें काफी संख्या में रेलवे के कर्मचारी लगे हुए हैं। जांच करने वाली टीम ने आरोपियों की तलाश में उनसे भी जानकारी हासिल की।