लखनऊ।   प्रदेश के पॉलीटेक्निक संस्थानों में छह चरणों में आयोजित प्रवेश काउंसिलिंग के बाद भी कुल डेढ़ लाख सीटों में एक लाख अभी भी खाली रह गई हैं। इन सीटों को भविष्य में भरा जा सकता है।

प्रदेश के पॉलीटेक्निक संस्थानों में छह चरणों में आयोजित प्रवेश काउंसिलिंग के बाद भी कुल डेढ़ लाख सीटों के सापेक्ष लगभग एक लाख सीटें अभी खाली हैं। खास यह कि इसमें सरकारी कॉलेजों में भी लगभग छह हजार सीटें खाली हैं। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट से प्रवेश के लिए अतिरिक्त समय मिलने के बाद राहत मिली है। प्राविधिक शिक्षा विभाग आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के आदेश का इंतजार कर रहा है।

पॉलीटेक्निक संस्थानों में इंजीनियरिंग व अन्य कोर्स (फार्मेसी छोड़कर) में प्रवेश की प्रक्रिया अभी 15 सितंबर तक पूरी हुई है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के अनुसार प्रदेश में 150 सरकारी, 19 सहायता प्राप्त, 18 पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप व 270 प्राइवेट पॉलीटेक्निक हैं। इसमें लगभग 1.60 लाख सीटें हैं। प्रवेश काउंसिलिंग के माध्यम से लगभग 60 हजार सीटों पर ही प्रवेश हुआ है।

सरकारी कॉलेजों की 42 हजार में से लगभग छह हजार और प्राइवेट की 94 हजार सीटें खाली हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से प्रवेश के लिए लगभग एक महीने की राहत मिलने के बाद सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों को सीटें भरने के लिए एक और मौका मिल सकता है। क्योंकि अभी डीफार्मा कोर्स में प्रवेश की प्रक्रिया होनी बाकी है। विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। हालांकि अभी उसे एआईसीटीई द्वारा जारी किए जाने वाले रिवाइज प्रवेश कैलेंडर का इंतजार है।