मेरठ। सपा विधायक अतुल प्रधान का विक्टोरिया पार्क में चल रहा धरना सोमवार को पांचवें दिन खत्म हो गया। हालांकि अतुल का कहना है कि धरना स्थगित हुआ है। अधिकारियों के आश्वासन पर 10 दिन का समय दिया है। अगर व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो इस बार कलक्ट्रेट में धरना देकर दिवाली मनाएंगे।

विधायक ने महापंचायत का एलान किया हुआ था। दोपहर करीब साढ़े तीन बजे पंचायत हुई, जिसमें एडीएम सिटी बृजेश सिंह, सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया, मेडिकल कॉलेज के प्रमुख अधीक्षक डॉ. धीरज राज, जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार और बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी भी इसमें शामिल हुए। विधायक ने इन्हें अपना मांग पत्र सौंपा।

अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि विधायक की जो मांगें हैं, उनके अनुसार व्यवस्था में सुधार कराया जाएगा। इस आश्वासन पर अतुल प्रधान ने पंचायत में आए लोगों की सहमति लेकर यह कहते हुए धरना खत्म कर दिया कि इसे खत्म न समझा जाए, सिर्फ स्थगित किया है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता के धरना स्थल पर नहीं पहुंचने पर उन्होंने नाराजगी जताई।

महंगी शिक्षा और महंगे इलाज के खिलाफ अतुल प्रधान ने बृहस्पतिवार से धरना शुरू किया था। पहले वह कलक्ट्रेट में धरना देना चाहते थे, मगर उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। उन्हें विक्टोरिया पार्क में एक दिन के धरने की अनुमति मिली, लेकिन उन्होंने इसे पांच दिन जारी रखा।

अतुल प्रधान ने बताया कि महंगी शिक्षा और महंगे इलाज के विरोध में अब हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद पोस्टकार्ड अभियान चलाया जाएगा। एक लाख पोस्टकार्ड जनता से लिखवाकर उसे राष्ट्रपति की भेजा जाएगा। इसके अलावा भी इसके विरोध में और गतिविधियां की जाएंगी।

जनपद स्तर की जो समस्याएं हैं, उसका निस्तारण कराया जाएगा। यह आश्वासन विधायक को दिया है। धरना खत्म हो गया है। – बृजेश सिंह, एडीएम सिटी

ये हैं प्रमुख मांगें
– डॉक्टरों की फीस 200 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
– सस्ती और ऐसी दवाएं लिखी जाएं जो अस्पताल के बाहर भी मिलती हों।
– अस्पताल के अंदर मेडिकल स्टोर से दवाएं लेने का दबाव न बना जाए।
– अवैध अस्पतालों और लैब पर कार्रवाई की जाए।
– अस्पतालों के कमरों के रेट कम से कम निर्धारित किए जाएं।
– हर बार डॉक्टर को दिखाने पर फीस की व्यवस्था खत्म की जाए।
– आयुष्मान योजना के मरीजों का इलाज सभी अस्पतालों में मिलना चाहिए।
– अस्पतालों में सभी व्यवस्थाओं की रेट लिस्ट चस्पा होनी चाहिए।
– पिछले कुछ समय से अकूत संपत्ति हासिल करने वाले अस्पताल संचालकों की जांच हो।
– बार-बार फीस बढ़ाने, और अन्य मदों में ली जाने वाली स्कूल फीस पर रोक लगे।
– हर साल हरेक बच्चे का स्कूल में पूरा मेडिकल चेकअप होना चाहिए।
– निजी स्कूलों के शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों वाली तनख्वाह दी जाए।
– बच्चों को मानसिक तनाव से बचाने के लिए 300 बच्चों पर एक मनोचिकित्सक की नियुक्ति हो।
– सीबीएसई स्कूल अपना पूरा ब्योरा दें, कितने शिक्षक, कितने बच्चे, कितना खर्च, कितनी कमाई।