मेरठ।   साइबर अपराधियों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर रक्षा लेखा नियंत्रक (सीडीए) कार्यालय से रिटायर्ड कर्मचारी को मानव अंगों की तस्करी और 68 लाख रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाने की धमकी देकर डराया। पांच दिन तक उन्हें घर में ही डिजिटल अरेस्ट रखा। किसी से बात करने और मिलने से रोका गया। बैंक खातों में उनसे 15 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। इस घटना के बाद से परिवार सदमे में है। साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई है।

नौचंदी थाना क्षेत्र के शास्त्रीनगर निवासी 78 वर्षीय बुजुर्ग सीडीए से रिटायर्ड हैं। आठ नवंबर को उनके पास अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को साइबर क्राइम ऑफिसर दीपक यादव बताकर कहा कि आपके नाम एक गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। मानव अंगों की तस्करी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह ने 17 बच्चों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी है। उनके अंग अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये में बेच दिए हैं। बच्चों के परिजनों को शव सौंपने के लिए उनसे 68 लाख रुपये की फिरौती वसूली गई है। यह रकम आपके एचडीएफसी बैंक खाते में जमा कराई गई है।

इतना सुनते ही बुजुर्ग घबरा गए। उनके डरने का फायदा उठाकर साइबर अपराधियों ने उनसे बैंक खातों सहित अन्य निजी जानकारियां ले लीं। इसके बाद वीडियो कॉल करके उन्हें घर पर ही डिजिटल अरेस्ट कर लिया। वीडियो कॉल में घर से बाहर जाने और किसी से मिलने पर बड़ी मुसीबत में फंसने का डर दिखाया गया। लगातार वीडियो कॉल कर उन्हें अपनी निगरानी में रखा गया। उन्हें उनका आधार कार्ड भी वीडियो कॉल पर दिखाया गया। बुजुर्ग ने डर की वजह से परिजनों को भी इसकी जानकारी नहीं दी।

साइबर अपराधियों ने कहा कि यदि आप हमारे खाते में 15 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर करते हैं तो हम इस मुसीबत से निकलने में आपकी मदद करेंगे। 12 नवंबर तक वह आरोपियों की निगरानी में अपने ही घर में कैद रहे। बुजुर्ग को आरोपियों की बात मानने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं सूझा। उन्होंने अपने खाते से 15 लाख रुपये आरोपियों के बताए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद उन्होंने रोते हुए पत्नी को मामले की जानकारी दी। इसके बाद दंपती ने बच्चों को बताया।

पीड़ित बुजुर्ग के पुत्र स्पोर्ट्स कारोबारी हैं। उनकी ओर से साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर इस मामले में शिकायत दर्ज कराई गई है। एसपी क्राइम अवनीश कुमार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। ट्रांसफर की गई रकम को फ्रीज कराने के लिए बैंकों में रिपोर्ट भेजी गई है।