लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 68,500 पदों पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जो अधर में लटकी हुई है, उसके चयन का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दिया है. बीते 6 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया. इससे ये साफ हो गया है कि यूपी में अब शिक्षकों के 27 हजार से अधिक खाली पदों पर भर्तियां की जाएंगी, लेकिन ये भर्तियां नए सिरे से होंगी यानी इसको लेकर एक नया विज्ञापन जारी किया जाएगा.

दरअसल, अगस्त महीने में इस शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दो महीने के अंदर परीक्षा कराने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ 13 अक्टूबर को कुछ अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की थी, लेकिन जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रदीप कुमार की खंडपीठ ने बीते शुक्रवार को अपनी सुनवाई में इस याचिका को खारिज कर दिया, जिससे कुल 27,713 पदों पर शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया. हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से अभी इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है.

कितना था कटऑफ?
यूपी में 68,500 पदों पर शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम अर्हता अंक 45 प्रतिशत रखा था, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम अर्हता अंक 40 प्रतिशत तय किया था, लेकिन इन कटऑफ अंकों के आधार पर सिर्फ 41,556 उम्मीदवारों का ही चयन हो सका था.

सीबीआई जांच के दिए थे आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 9 जनवरी 2018 को 68,500 शिक्षकों की भर्ती को लेकर आदेश जारी किया गया था, जिसके लिए लिखित परीक्षा का आयोजन 27 मई को किया गया था और 13 अगस्त को रिजल्ट जारी किया गया था, लेकिन उसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी देखने को मिली थी. परीक्षा में ऐसे भी उम्मीदवारों को पास घोषित कर दिया गया था, जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी, जबकि कुछ फेल उम्मीदवारों को पास कर दिया गया था. इस गड़बड़ी का जब खुलासा हुआ तो कई उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उसके बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए. हालांकि बाद में सरकार ने इस मामले में अपील की, जिसके बाद डबल बेंच ने अपने आदेश में सीबीआई जांच को औचित्यहीन बता दिया था.