कानपुर। कानपुर में एसबीआई में चीफ मैनेजर रहे इंद्रजीत सिंह राजपूत भी साइबर ठगी का शिकार बन गए। उन्हें व उनकी पत्नी को ठगों ने चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। क्रेडिट कार्ड से फ्रॉड और मनी लॉन्डरिंग के आरोप में जेल भेजने की धमकी दी और 40.45 लाख रुपये ऐंठ लिए। इसके लिए ठगों ने सीबीआई और शहर में तैनात रहे आईपीएस अधिकारी आकाश कुलहरि के नाम का भी इस्तेमाल किया।
वे रतनलालनगर के इंद्रप्रस्थ अपार्टमेंट में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। ठगी का अहसास होने पर उन्होंने साइबर सेल में शिकायत की। मामला 19 दिसंबर से शुरू हुआ। इंद्रजीत के अनुसार, उस दिन सुबह नौ बजे पहली कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को एसबीआई के कस्टमर सर्विस सेंटर का कर्मचारी बताया और केनरा बैंक के क्रेडिट कार्ड से एक लाख नौ हजार 999 रुपये का फ्रॉड होने की बात कही।
पत्नी घबरा गईं। कार्ड की जानकारी न होने की बात कही। मोबाइल इंद्रजीत को दे दिया। इंद्रजीत ने अपना परिचय दिया तो ठग ने कॉल कथित फ्लोर मैनेजर को ट्रांसफर कर दी। फिर इस फ्लोर मैनेजर ने दिल्ली पुलिस का अफसर बने एक अन्य ठग को कॉल दे दी, जिसने बदजुबानी की और आधार कार्ड की कॉपी तुरंत भेजने को कहा। सिलसिला यहीं नहीं थमा। ठगों ने पूरा जाल बुना था। कॉल फिर ट्रांसफर हुई।
अब गिरोह के चौथे सदस्य ने बात की। उसने बताया कि कार्ड नई दिल्ली के कनॉट प्लेस के पते पर जारी हुआ है। मामले में किसी हरीश कार्तिकेय पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। उसने 22.56 करोड़ रुपये की मनी लॉन्डरिंग की है। उसके पास से 200 क्रेडिट कार्ड व आधार कार्ड मिले हैं, जिनमें से एक उनका है। ठग ने शिकंजा कसते हुए कहा, कार्तिकेय ने बताया है कि उन्हें 25.60 लाख रुपये का कमीशन दिया गया है।
इंद्रजीत फंस गए। बचने के लिए गुहार लगाने लगे। अब ठग ने बड़े अधिकारी से बात कराई। यह गिरोह का पांचवा सदस्य था। उसने इंद्रजीत को जल्दी ही केस की जांच करने का भरोसा दिलाया। साथ ही किसी को यह बात न बताने की हिदायत दी। धमकाया कि बताने पर एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी। फिर नितिन पवार बनकर छठे ठग ने बात की। उसने उनके सारे बैंक खातों की जानकारी ली और एक खाते में छह लाख रुपये जमा करा लिए।
इस दौरान इंद्रजीत को फोन काटने नहीं दिया गया। इंद्रजीत को लगा कि अब मामला सुलट गया है, लेकिन खेल अभी बाकी था। अब आईपीएस आकाश कुलहरि के नाम का इस्तेमाल करते हुए सातवें ठग ने उन्हें व्हॉट्सएप पर संपर्क किया। बुरी तरह डर चुके पूर्व चीफ मैनेजर को बचाने का भरोसा दिलाकर उनसे 21 से 23 दिसंबर के बीच 34.45 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में जमा करा लिए।
इंद्रजीत के अनुसार ठगों ने उनसे म्युचुअल फंड बेचकर रुपये जमा करने के लिए कहा था। इस पर उन्होंने म्युचुअल फंड अधिकारी से संपर्क किया। अधिकारी को आपबीती बताई, तो साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने की बात पता चली। इसी के बाद उन्होंने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। साइबर थाना प्रभारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मामले की तहरीर मिली है। जांच कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
ठगों ने इंद्रजीत को इतना भयभीत कर दिया था कि उनकी हर बात मानते चले गए। 19 दिसंबर को पहले दिन जेल भेजने की धमकी दी। बचने के लिए बिना कॉल काटे बताए गए खाते में छह लाख रुपये जमा करवा लिए। घर वापस पहुंचे तो ठगों के निर्देश पर हर घंटे खुद कॉल कर घर में होने की जानकारी देते रहे। इंद्रजीत ने बताया कि इसके बाद से रात में व्हाट्सएप कॉल पर उन्हें लिया और एक मिनट के लिए भी कॉल नहीं काटी। इसके बाद 23 दिसंबर तक व्हॉट्सएप कॉल पर ही बात करते रहे।
किसी भी साइबर अपराध की शिकायत सबसे पहले हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें। साथ ही स्थानीय थाने या स्थानीय साइबर थाने में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। जल्दी शिकायत दर्ज कराने पर उतनी ही जल्दी बैंक खाता फ्रीज कर पैसे वापस कराने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। साथ ही रुपये वापस मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।