मेरठ।  उत्तर प्रदेश के मेरठ के लिसाड़ीगेट थाना इलाके की मदीना कॉलोनी के लोग सुबह करीब चार बजे गहरी नींद में थे। तभी पुलिस की गाड़ियों के सायरन सन्नाटे को चीरने लगे। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते गोलियों की तड़तड़ाहट से आसपास का इलाका गूंजने लगा। इससे लोगों में कोई अप्रिय घटना की आशंका को लेकर दहशत फैल गई। वह घरों से बाहर निकलने की हिम्मत भी जुटा पाए। एक-दूसरे को फोन कर बाहर के घटनाक्रम की जानकारी लेने का प्रयास लोग करने लगे। उजाला होने पर पुलिस मुठभेड़ में नईम के ढेर होने की जानकारी मिली।

पुलिस कई दिनों से नईम और सलमान को तलाश कर रही थी। शनिवार सुबह दोनों के मदीना कॉलोनी आने की सूचना मिली तो सीओ आशुतोष कुमार के साथ लिसाड़ी गेट और लोहियानगर थाने की पुलिस के साथ स्वाट, सर्विलांस और एएचटीयू टीम दोनों की घेराबंदी में लग गई। कुछ देर बाद ही मदीना कॉलोनी में पुलिस की गाड़ियों के सायरन गूंजे तो लोगों की नींद खुली। इसके कुछ देर बाद ही गोलियों की आवाज आने लगी। सूरज निकलने के बाद सड़कों पर आवाजाही बढ़ी तो पूरे मामले का पता चला।

दिन चढ़ने के साथ ही मुठभेड़ में नईम के मारे जाने की सूचना शहर में फैलती रही। आसपास के लोग मौके पर एकत्र होने लगे। पुलिस ने मुठभेड़ स्थल से दूर जाने के निर्देश दिए। नईम के मारे जाने की जानकारी जिसे भी मिली, उसने यही कहा कि आरोपी के साथ सही हुआ, उसे अपनी करतूत की सजा मिल गई। पूरे परिवार के निर्मम हत्याकांड को अंजाम देने वाले के साथ ऐसा ही होना चाहिए था। इससे ऐसी वारदातों को अंजाम देने वालों को कुछ सबक जरूर मिलेगा।

शातिर नईम अपने सौतेले भाई मोईन और भाभी आसमा का मोबाइल लेकर गया था। दोनों ने मुजफ्फरनगर पहुंचकर मोबाइल ऑन किया, ताकि लोकेशन पुलिस को वहीं की मिले और पुलिस उत्तराखंड या रुड़की में ढूंढने जाए। जबकि मुजफ्फरनगर से दोनों आरोपी वापस नोएडा के रास्ते से दिल्ली चले गए थे। नईम करीब 25 साल से हत्याओं की वारदात को अंजाम दे रहा है और पुलिस को चकमा दे रहा था। इस बार भी नईम ने पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया था।

नईम के सात भाई और तीन बहन हैं। सलमान के मुताबिक, नईम मालेगांव में टॉइल्स की ठेकेदारी करता था, जिसमें उसने काफी पैसा भी कमाया। जिसके चलते नईम ने अपने भाइयों को 8-8 और 10-10 लाख रुपया उधार दिया हुआ था। वह अपने भाइयों से पैसा मांगता था, जिस पर वह आर्थिक तंगी बताकर पल्ला झाड़ देते थे। मोईन घर बनाने के साथ-साथ प्लॉट खरीद रहा है। इसको लेकर वह रंजिश रखने लगा।

एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि परिवार के पांच लोगों की हत्या करने वाला नईम तांत्रिक महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तराखंड में भी हत्याएं कर चुका है। 2007 में महाराष्ट्र के मुंब्रा इलाके में दो कारोबारी शादाब और असद निवासी आजमगढ़ की हत्या की। दिल्ली में एक रिश्तेदार और उत्तराखंड में एक युवक की हत्या कर शव को फेंकना बताया है।

नईम दूसरे राज्य में नाम बदलकर रहने लगा। वो पत्नी भी बदलने में माहिर था। 15 साल से नईम के साथ रहे सलमान ने पुलिस को उसके अपराध की जानकारी दी है। पुलिस ने तीनों राज्यों में भी नईम के अपराध की कुंडली खंगाली है। आरोपी नईम को एक बार भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी।

एसएसपी ने बताया कि कोविड के बाद से नईम आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। नईम को अपना महाराष्ट्र के मालेगांव का मकान भी बेचना पड़ गया। वह अपने उधार दिए पांच लाख रुपये मांगने के लिए मोईन पर दबाव बना रहा था। जब मोईन रुड़की से मेरठ शिफ्ट हुआ और मकान का निर्माण कार्य कराया तो नईम को लगा कि अब उसके पैसे नहीं मिलेंगे। जिसके बाद उसने हत्या की वारदात को अंजाम दिया।

मेरठ के लिसाड़ीगेट के सुहेल गार्डन में आठ जनवरी की रात में राजमिस्त्री मोईन उर्फ मोईनुद्दीन (52), उनकी पत्नी आसमा (45) और उनकी तीन बेटियां अक्शा (8), अजीजा (4) और अलइफ्शा (1) की धारदार हथियार से गला काटकर निर्मम हत्या कर दी गई। 9 जनवरी को रात 8:30 बजे मोईनुद्दीन के दो भाई वहां पहुंचे तो अंदर का मंजर देखकर उनकी चीख निकल गई। बेड के पास मोईन और बेड के अंदर बॉक्स में उनकी पत्नी और तीनों बेटियों के रक्तरंजित शव मिले।

हत्याकांड को मोईन के सौतेले भाई नईम ने अंजाम दिया था। आरोपी नईम तांत्रिक था और पेशेवर अपराधी था। लोग उसे नईम बाबा के नाम से जानते थे। वह दिल्ली और महाराष्ट्र में हत्याएं कर चुका था। हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद वह नाम, वेश और जगह बदलकर रहता था। हत्या करने के बाद बीवियां भी बदल लेता था। मेरठ में उसने अपने साैतेले भाई और उसके परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। कई मुकदमों में नईम वांछित था।