नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कई राज्यों की मांगों को ध्यान में रखते हुए कपड़ों पर GST की दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का फैसला फिलहाल के लिए टाल दिया है. वित्त मंत्री ने 46वें जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के बाद यह जानकारी दी है. सरकार के इस फैसले से साफ है कि 1 जनवरी से GST दर बढ़ने की वजह से महंगे होने जा रहे कपड़े अब उसी रेट पर मिलते रहेंगे, ऐसे में यह लोगों के लिए नए साल पर किसी तोहफे से कम नहीं है.

फैसले का विरोध कर रहे थे राज्य
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 46वीं बैठक में कपड़ा उत्पादों पर दर बढ़ाने के फैसले पर चर्चा हुई. सितंबर में इसे पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया गया था और इसे एक जनवरी 2022 से लागू किया जाना था. लेकिन गुजरात समेत कई राज्य इसका विरोध कर रहे थे कि इस फैसले का आम आदमी और कारीगरों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. जीएसटी परिषद में इसी मुद्दे पर चर्चा हुई.

बैठक के बाद आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री बुग्गना राजेंद्रनाथ रेड्डी ने बताया कि कई राज्यों की आपत्तियों को देखते हुए कपड़ा उत्पादों पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने के फैसले को टालने का फैसला किया गया है.

दर बढ़ाने को लेकर कन्फ्यूजन
रेड्डी के मुताबिक, इस बैठक में कई राज्यों का यह कहना था कि कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी लागू होने को लेकर स्पष्टता नहीं है. इसके अलावा नाइलॉन और सूती धागे के अलावा मानव-निर्मित के साथ-साथ प्राकृतिक धागे पर लागू होने वाली दर को लेकर भी स्पष्टता की कमी है.

उन्होंने ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों ने काउंसिल से यह अनुरोध किया कि कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी को पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने के फैसले को वापस लिया जाए और इसे एक जनवरी 2022 से लागू न किया जाए.’

बता दें फिलहाल मानव निर्मित रेशे पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है जबकि इससे बने धागे पर दर 12 फीसदी और कपड़े के मामले में पांच फीसदी कर लगता है. रेड्डी ने कहा कि जीएसटी परिषद से अनुरोध किया गया कि हथकरघा कारीगरों पर पड़ने वाले असर की स्टडी करने के बाद कपड़ों पर जीएसटी बढ़ाने का फैसला किया जाए.