विधानसभा चुनाव में सपा और रालोद की दोस्ती की भी परख होगी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद रालोद से छिटका वोट बैंक किसान आंदोलन के बाद एकजुट दिखाई दे रहा है। दोनों पार्टियों के समर्थक मुजफ्फरनगर की खलिश भुलाकर साथ तो आए हैं पर बूथ पर यह कितना कारगर होंगे यह आने वाले समय में ही साफ होगा। पिछला चुनाव रालोद ने अकेले लड़ा था। जयंत के लिए भी यह पहला चुनाव है, जब वह बिना चौधरी अजित सिंह के मैदान में होंगे।
पश्चिमी यूपी को जाटलैंड भी कहा जाता है। पिछली बार की तरह चुनाव आयोग ने इस बार भी यूपी विधानसभा चुनाव की शुरुआत पश्चिमी यूपी से ही शुरू की है। सपा और रालोद के बीच अभी गठबंधन में सीटों को बंटवारा भी सार्वजनिक नहीं हो सका है। माना जा रहा है कि रालोद को 36 से 40 सीट मिल सकती हैं। मेरठ की सिवाल और कैंट सीट रालोद के खाते में आ सकती हैं।
बता दें कि सात दिसंबर को गांव दबथुआ में हुई सपा-रालोद की साझा जनसभा में भारी भीड़ उमड़ी थी। इसके बाद 23 दिसंबर को किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह की जयंती पर इगलास में हुई जनसभा में भी दोनों दल एक साथ थे।
मेरठ जिले की सात सीटों के साथ शामली जिले की कैराना, थानाभवन, शामली, मुजफ्फरनगर जिले में बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी, मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, बागपत जिले की छपरौली, बड़ौत व बागपत विधानसभा सीटों पर पहले चरण में ही चुनाव होना है।