रोहित शर्मा को टेस्ट उप-कप्तान बनाते समय यह अंदाज़ा किसी को नहीं था कि विराट इतनी जल्दी टेस्ट कप्तानी छोड़ देंगे. अब स्थिति बदल चुकी है और नए हालात में रोहित शर्मा के साथ केएल राहुल और ऋषभ पंत भी कप्तान के दावेदार के तौर पर उभरकर आए हैं.

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अब बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि बीसीसीआई व्हाइट और रेड बॉल के अलग-अलग कप्तान बनाना चाहता है या विराट कोहली की तरह तीनों प्रारूपों में एक ही कप्तान रखना चाहता है. साथ ही क्या बीसीसीआई इस समस्या का तात्कालिक हल निकालना चाहता है या भविष्य को ध्यान में रखकर फ़ैसला करना चाहता है.

रोहित शर्मा अनुभवी कप्तान हैं. वह आईपीएल में मुंबई इंडियंस को सबसे ज़्यादा पांच बार चैंपियन बना चुके हैं. इसके अलावा विराट की अनुपस्थिति में टी-20 और वनडे मैचों में भी सफलतापूर्वक कप्तानी कर चुके हैं. उन्होंने 10 वनडे मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की है, जिसमें से आठ में विजय प्राप्त की है और सिर्फ दो मैच हारे हैं. इसी तरह 22 टी-20 मैचों में से 18 जीते हैं और सिर्फ चार हारे हैं.

रोहित के पक्ष में जाने वाली बात यह भी है कि 2019 में टेस्ट टीम में ओपनर की भूमिका निभाने के बाद से बल्लेबाज़ी में अपने झंडे गाड़ने में सफल रहे हैं. उन्होंने इस दौरान 58.48 के औसत से रन बनाए हैं. पर रोहित के ख़िलाफ़ जाने वाली बात उनकी चोटों की समस्या और तीनों प्रारूपों की कप्तानी देने पर वर्कलोड की समस्या हो सकती है.

हम सभी इस तथ्य से वाकिफ हैं कि वह दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर चोट के कारण ही नहीं जा सके थे. पहले भी कई बार उनके सामने इस तरह की समस्याएं आती रही हैं. इसके अलावा बीसीसीआई यदि आगे तक की सोच रहा है तो रोहित उसकी टेस्ट कप्तानी की योजना का हिस्सा शायद ही हों. इसकी वजह यह है कि वह इस समय 35 साल के हैं, इससे दो-तीन साल से ज़्यादा करियर चलने की संभावनाएं कम ही होंगी. इस स्थिति में किसी युवा को यह ज़िम्मेदारी दी जा सकती है.

केएल राहुल ने 2019 में टेस्ट टीम से बाहर होने के बाद जब पिछले साल अगस्त में वापसी की तो वह मिले मौकों को अच्छे से भुनाने की वजह से टेस्ट टीम की कप्तानी के लिए एक मज़बूत दावेदार के तौर पर उभरे हैं.

उन्होंने इंग्लैंड दौरे के लॉर्डस टेस्ट में और पिछले दक्षिण अफ्रीकी दौरे के सेंचुरियन टेस्ट में शतक जमाकर अपनी छवि को मज़बूती दी है. यही वजह है कि विराट के अनफिट होने पर जोहांसबर्ग टेस्ट में उन्हें कप्तानी करने का मौका मिला.

केएल राहुल को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कप्तानी करने का भले ही ज़्यादा अनुभव नहीं है. पर वह आईपीएल में पंजाब किंग्स का अच्छे से नेतृत्व कर चुके हैं. रोहित की अनुपस्थिति में वह दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ में कप्तानी भी करने जा रहे हैं. इतना ज़रूर है कि जोहांसबर्ग टेस्ट में कप्तानी करते समय कुछ ग़लतियां करने की वजह से टीम को विजय दिलाने में कामयाब नहीं हो सके थे.

पंत ने दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ केपटाउन टेस्ट में मुश्किल हालात में शतक ठोककर यह अहसास तो कराया है कि उनमें संघर्ष क्षमता ठूंस-ठूंसकर भरी है. उनकी यह क्षमता कप्तानी में काम आ सकती है. वैसे वह पिछले आईपीएल सीज़न में दिल्ली केपिटल्स की सफलतापूर्वक कप्तानी कर चुके हैं. उन्हें कप्तानी करते समय कोच रिकी पोंटिंग से बहुत कुछ सीखने को भी मिला है.

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ऋषभ पंत के ख़िलाफ़ अनुभव की कमी जा सकती है. वह अभी 24 साल के हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि भारत में कम उम्र के टेस्ट कप्तान बने ही नहीं हैं. मंसूर अली खां पटौदी तो 21 साल की उम्र में ही कप्तान बना दिए गए थे और देश के सफल कप्तानों में शुमार किए जाते हैं.

टीम इंडिया के पिछले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर अजिंक्य रहाणे ने जिस तरह से एक कप्तान के तौर पर ब्रिस्बेन टेस्ट भारत को जिताकर सिरीज़ जिताई थी, उससे उनका क़द बहुत ऊंचा हो गया था. इस सिरीज़ की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट में भारत हारा ही नहीं बल्कि उसकी पारी 36 रन के न्यूनतम स्कोर पर सिमट गई थी.

दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ सिरीज़ के बाद रहाणे की बल्लेबाज़ी में लचर प्रदर्शन ने उनकी स्थिति को कमज़ोर किया. इसके बाद खेले गए 13 टेस्ट में वह 20 के आसपास औसत से ही रन बना सके. इसी का परिणाम था कि दक्षिण अफ्रीकी दौरे से पहले वह बीसीसीआई की टेस्ट कप्तानी की योजना का हिस्सा नहीं रहे और उन्हें उप-कप्तानी से हटाकर रोहित शर्मा को कप्तान बना दिया गया. इसमें कोई दो राय नहीं है कि रहाणे ने यदि इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर बल्ले से चमक बिखेरी होती तो विराट के बाद टेस्ट कप्तान वही बनते.

रहाणे की तरह ही रविचंद्रन अश्विन बेहद अनुभवी हैं और 400 से ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने की उपलब्धि भी हासिल कर चुके हैं. वह कप्तानी का अनुभव भी रखते हैं. लेकिन हमारे यहां गेंदबाज़ों को कप्तान बनाने पर यह धारणा काम करती है कि वह टीम की गेंदबाज़ी के प्रति न्याय नहीं कर पाते हैं. इसलिए वह दावेदारी में इस समय कहीं स्टैंड करते नज़र नहीं आते हैं.

ऐसा लग रहा है कि बीसीसीआई सोच विचार करके ही इस संबंध में क़दम उठाना चाहता है इसलिए लगता यही है कि श्रीलंका के साथ घरेलू टेस्ट सिरीज़ से पहले ही कप्तान की घोषणा की जा सकती है. अगले दो सालों में दो विश्व कप खेले जाने हैं.

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इसके अलावा भी काफ़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेली जानी है. इस स्थिति में बहुत संभव है कि रोहित शर्मा को टेस्ट कप्तानी भी देकर, केएल राहुल को उनका डिप्टी बना दिए जाए.

आजकल खिलाड़ियों के वर्कलोड पर भी काफ़ी जोर दिया जाता है. इसका समधान कुछ सिरीज़ों में रोहित शर्मा को आराम देकर राहुल से कप्तानी कराई जा सकती है. इससे रोहित अत्याधिक क्रिकेट से भी बच सकेंगे. वहीं राहुल का कप्तान के रूप में ग्रेजुएशन होता रहेगा.