ताइपे सिटी. देश आज स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को याद कर रहा है. आज यानी 23 जनवरी के दिन वर्ष 1897 में ओडिशा के कटक में उनका जन्म हुआ. नेताजी का पूरा जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. उनकी मौत आज भी हर किसी के लिए एक रहस्य है. एक बार फिर से ताइवान ने नेताजी की मौत पर सवाल उठाते हुए अपने राष्ट्रीय अभिलेखागार को इसकी जांच करने के आदेश दिए हैं. नेताजी की मौत के बाद जापान की एक संस्था ने एक खबर जारी कर बताया था कि सुभाष चंद्र बोस का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. किसी देश की संस्था से ऐसा बयान आने पर इस हादसे को सच माना जा सकता था, लेकिन कुछ ही दिन बाद जापान सरकार ने पुष्टि करते हुए कहा था कि ताइवान में उस दिन कोई विमान हादसा नहीं हुआ. इस बयान से संशय और बढ़ गया कि जब कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं तो नेताजी गए कहां?
सुभाष चंद्र बोस की मौत 18 अगस्त 1945 में एक विमान हादसे में हुई. माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस जिस विमान से यात्रा कर रहे थे. वह रास्ते में लापता हो गया. उनके विमान के लापता होने से ही कई सवाल खड़े हो गए कि क्या विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था? क्या सुभाष चंद्र बोस की मौत एक हादसा थी या हत्या? बता दें कि ताइवान, जो 1940 के दशक में जापान के कब्जे में था, वह आखिरी देश था, जिसने नेताजी को जीवित देखा था. जबकि आम सहमति है कि 1945 में ताइवान में एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी. सुभाष चंद्र बोस की मौत इसलिए भी रहस्य बनी हुई है क्योंकि आरोप लगा कि उस समय जवाहर लाल नेहरू ने बोस के परिवार की जासूसी कराई थी. इस मुद्दे पर आईबी की दो फाइलें सार्वजनिक हुई, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया. इन फाइलों के मुताबिक, आजाद भारत में करीब दो दशक तक आईबी ने नेताजी के परिवार की जासूसी की. कई लेखकों ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि नेहरू को भी सुभाष चंद्र बोस की मौत पर शक था, इसलिए वह बोस परिवार के पत्र की जांच करवाते थे ताकि अगर कोई नेताजी परिवार से संपर्क करें तो पता चल सके.