सहारनपुर. बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती एक बार फिर से आचार संहिता के उल्लंघन में फंस सकती हैं. उन्होंने फिर से एक खास संप्रदाय को वोट देने को लेकर बयान दे दिया है. मायावती ने ये बयान अपनी सहारनपुर रैली के दौरान दी. उन्होंने मुस्लिम समुदाय को एक खास पार्टी को वोट न देने की अपील की है. साथ ही ये भी कहा है कि दलित भी उस पार्टी को वोट न दें.

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने सहारनपुर में ही ऐसे ही एक बयान देकर आचार संहिता के घेरे में फंस गई थी. तब उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं को कहा था कि वे महागठबंधन को वोट दें. इस बार उन्होंने मुस्लिम समुदाय से किस खास पार्टी को वोट न देने की अपील की है.

मायावती ने सहारनपुर में कहा कि ‘मैं दलितों को ये बताना चाहती हूं कि जो दलित वर्ग के कुछ नेता लोग अपने स्वार्थ में बीजेपी में चले गए क्या वे शब्बीरपुर कांड को भूल गए. तो इसलिए आपलोगों को इस चुनाव में ना सपा को वोट देना है मुस्लिम भाइयों को और दलितों को तो बिल्कुल भी नहीं देना है, जिसने शब्बीरपुर कांड कराया, दलितों को ये भूलाना नहीं है.’

दरअसल साल 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर इलाके में महाराणा प्रताप की शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान दलितों और ठाकुरों के बीच हुई झड़प थी. इस झड़प के बाद दलित बस्ती को जला दिया गया था. मायावती यहां उसी कांड को याद दिलाकर मुस्लिमों और दलितों को सपा को वोट देने से रोकने की बात सहारनपुर रैली में कर रही थीं.

इससे पहले वर्ष 2019 में मायावती के ऐसे ही बयान के बाद काफी बवाल मचा था. तब उन्होंने मुस्लिम समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि वे गठबंधन को वोट दें. इसके बाद चुनाव आयोग ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना था. तब उनपर 48 घंटे का प्रतिबंध भी लगा था.

बता दें कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी मायावती ने जमकर मुस्लिम कार्ड खेला है. तब मायावती ने 403 सीटों में से 99 पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे. इस बार अभी तक 74 मुस्लिम उम्मीद्वारों को बसपा मैदान में उतार चुकी है. अभी सातवें चरण की सूची आनी बाकी है.

मायावती की कोशिश है कि पश्चिमी यूपी में मुस्लिम और दलित गठजोड़ के जरिये चुनाव में जीत पक्की कर ली जाये. इसके अलावा बड़े पैमाने पर मुस्लिम उम्मीद्वारों को उतारने के पीछे उनकी एक और सियासी कोशिश दिख रही है. मायावती कई बार बता चुकी हैं कि उनके लिए भाजपा से ज्यादा बड़ा दुश्मन सपा है. ऐसे में बड़े पैमाने पर उनके मुस्लिम उम्मीदवार अगर मुसलमानों के वोट काट देते हैं तो सपा को संबंधित सीट पर जीत मिलनी मुश्किल हो जाएगी.