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नई दिल्‍ली: सामुद्रिक शास्त्र में व्यक्ति के शरीर के अंगों की बनावट, उन पर मौजूद तिल, निशानों आदि के जरिए उसकी पर्सनालिटी और भविष्‍य के बारे में बताता है. इससे कई ऐसी बातें भी पता चल जाती हैं, जिनसे वह व्‍यक्ति खुद भी अनजान रहता है. आज हम शरीर के एक अहम हिस्‍से पर बने तिलों के जरिए पर्सनालिटी और फ्यूचर जानते हैं. यह अहम हिस्‍सा है हमारे कान, जिनसे हम सुनते हैं और इस क्षमता को पांच इंद्रियों में शामिल किया गया है.

ये हैं कान पर तिल के मतलब
बाएं कान पर तिल होने का मतलब: सामुद्रिक शास्त्र के मुताबिक बाएं कान पर तिल होना बहुत अच्‍छा होता है. ऐसे लोग बहुत चतुर और समझदार होते हैं. ये लोग बहुत सेल्‍फ रिस्‍पेक्‍ट वाले होते हैं. किसी से मदद लेना, उपहार-धन लेना इन्‍हें अच्‍छा नहीं लगता है. ये लेने की बजाय देने में भरोसा करते हैं. साथ ही बहुत जिंदादिल और खुशमिजाज होते हैं.

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दाहिनें कान पर तिल होना: वहीं दाहिने कान पर तिल होना बहुत लकी होने की निशानी है. ऐसे लोग समझदार तो होते हैं लेकिन बहुत इमोशनल और गुस्‍सैल भी होते हैं. ऐसे लोगों का जीवन में कभी न कभी भाग्‍योदय जरूर होता है और खूब पैसा मिलता है.

कान के निचले हिस्‍से में तिल होने का मतलब: यदि जातक के किसी भी कान के निचले हिस्‍से में तिल हो तो ऐसा जातक खूब खर्चीला होता है. उसे शॉपिंग करना, दिखावा करना, घूमना, पार्टी करना अच्‍छा लगता है. ये लोग कल की फिक्र करने की बजाय आज में जीते हैं.

कान के ऊपरी हिस्से पर तिल होने का मतलब: व्‍यक्ति के कान के ऊपरी हिस्से पर तिल का व्यक्ति को कलात्मक बनाता है. ऐसे लोग बहुत संवेदनशील लेकिन निडर होते हैं. वे मानसिक तौर पर बहुत मजबूत होते हैं और हर चुनौती का डटकर सामना करते हैं.