बेंगलुरु शहर में एक ऐसी जगह है जहां पर भारतीय ही नहीं जा सकते. ये जगह है यूनो-इन नामक होटल. शहर में ये होटल साल 2012 में बनाया गया था. इस होटल में केवल जापान के लोग ही जा सकते थे. भारतीयों के लिए इस होटल में नो एंट्री थी. होटल के शुरु होने के दो साल बाद ही नस्लीय भेदभाव के आरोपों के चलते इस होटल को बंद कर दिया गया था.
फ्री कसोल कैफे, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कसोल में स्थित फ्री कसोल कैफे में भारतियों का प्रवेश वर्जित है. इस कैफे का संचालन इजराइली मूल के लोग करते हैं. साल 2015 में कैफे ने एक भारतीय महिला को सर्व करने से साफ मना कर दिया था. कैफे का कहना था कि वह सिर्फ अपने मेंबर्स को ही सर्व करते हैं. इस घटना के बाद कैफे की काफी आलोचना भी हुई थी और इस पर नस्लवाद के आरोप भी लगे थे. आपको बता दें कि कैफे के आसपास अंकित सभी साइन बोर्ड भी हिब्रू भाषा में हैं.
रेड लॉलीपॉप हॉस्टल, चेन्नई
चेन्नई स्थित रेड लॉलीपॉप हॉस्टल भी अपने सेवाओं के चलते नस्लवाद के आरोपों से घिरा हुआ है. हॉस्टल में एंट्री के लिए किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट को जरूरत होती है. ऐसे में भारत के आम नागरिकों के लिए यह हॉस्टल अपनी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराता है. होटल का दावा है कि वह पहली बार भारत आने वाले पर्यटकों को सेवा प्रदान करता है.
ओन्ली फॉरेनर्स बीच गोवा
समुद्र किनारे बसा गोवा देश और विदेश के टूरिस्ट्स से भरा रहता है. कई देशों के लोग यहां घूमने व अपनी छुट्टी मनाने आते हैं. बताया जाता है कि यहां कई ऐसे समुद्री बीच हैं जहां सिर्फ विदेशी पर्यटकों को ही एंट्री दी जाती है. देश के पर्यटकों पर इन बीचों पर जाने पर बैन लगा हुआ है.
नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का एक द्वीप नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड भी है, जहां सिर्फ आदिवासी निवास करते हैं. ये द्वीप बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं रखता है. साल 2018 में एक अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक की मौत के बाद यह द्वीप चर्चा में आया था. नॉर्थ सेंटिनल द्वीप 23 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां पर रह रहे आदिवासियों की संख्या महज 100 के करीब है. इस द्वीप पर बाहर से आए हुए किसी भी व्यक्ति का जाना वर्जित है.