पानीपत. एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में केवल पाइप्ड नैचुरल गैस (पीएनजी) से ही इंडस्ट्री चलाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इंडस्ट्री को 30 सितंबर, 2022 तक पीएनजी पर शिफ्ट करने के आदेश हैं। इसके बाद कोयला आधारित इंडस्ट्री नहीं चलने दी जाएगी। पानीपत के टेक्सटाइल उद्यमी पीएनजी पर अगर इंडस्ट्री चलाते हैं तो उनका उत्पाद गुजरात, पंजाब से महंगा हो जाएगा। निर्यातक भी प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं सकेंगे।

शहर में उद्यमियों ने बैठक की तो चर्चा हुई कि क्यों न उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाए जाएं। उद्यमियों ने कहा, इंडस्ट्री वहीं शिफ्ट कर लेंगे। वहां सुरक्षा भी मिलेगी और पीएनजी जैसा नियम भी नहीं है। शिफ्टिंग का फैसला दस मार्च के बाद ही होगा। हरियाणा में भाजपा सरकार है। मनोहर राज में इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है लेकिन सख्त नियमों के कारण, एनसीआर के कारोबारी उप्र जाना चाहते हैं।

डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा का कहना है कि पानीपत के नजदीक कैराना, शामली पड़ता है। कैराना और शामली से सैकड़ों लोग पानीपत की इंडस्ट्री में काम करने आते हैं। कुराड़ में मिंक और पोलर कंबल बनाने की फैक्ट्रियां लगी हैं। यहां पर धागा बनाने के लिए ओपन एंड स्पिनिंग मिल लगी हैं। ये क्षेत्र शामली व कैराना के नजदीक ही है। जब वहां के लोग यहां काम करने आ सकते हैं तो इंडस्ट्री भी वहां शिफ्ट हो सकती है। उन्होंने वहां पर जगह देखी है। यह एरिया मार्च से एनसीआर से बाहर भी होने वाला है। जमीन सस्ती है। पेट कोक का इस्तेमाल कर सकेंगे। डायर्स एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं होगी। वहां सरकार बनने पर शिफ्ट होने के बारे में सोचा जा सकता है।

इंडस्ट्री प्रभावित हो रही है

यंग एन्टरप्रन्योर सोसाइटी (यस) के पानीपत चैप्टर के कोषाध्यक्ष एवं निर्यातक मनीष गर्ग ने कहा कि इस समय पीएनजी पर इंडस्ट्री को शिफ्ट नहीं किया जा सकता। समय भी बेहद कम है। अगर डाई यूनिट शहर से बाहर जाएंगी तो निर्यात उद्योग पर असर पड़ेगा। निर्यात उद्योग में समय पर डिलीवरी की चुनौती होती है। कभी कोयला बंद कराना, कभी जेनरेटर बंद करना, कभी पूरी इंडस्ट्री को ही बंद करा देने से निर्यात उद्योग को धागा नहीं मिल पाता। इस वजह से विदेश में उत्पाद नहीं पहुंचता। अगर डाई हाउस शिफ्ट हुए तो निर्यात उद्योग भी बाहर जा सकते हैं।

राजपुरा भी विकल्प

पंजाब के राजपुरा को भी विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। डायर्स एसोसिएशन के सदस्य वहां भी जमीन देखकर आए हैं। वहां से पानीपत तक ट्रांसपोर्ट आसान हैं। कुछ घंटों में धागा रंग कर यहां भेज सकते हैं। वहां भी पीएनजी का नियम नहीं है।

पीएनजी की कीमत 58 रुपये किलो आएगी। दस हजार सीवी एनर्जी के लिए 69 रुपये खर्च आएगा। सूरत में 12 रुपये और लुधियाना में 19 रुपये खर्च आता है। यानी, पानीपत में वही उत्पाद बनाने में छह गुना तक अधिक खर्च आएगा। पानीपत में पर्दा, सोफा कवर, थ्री डी बेडशीट जैसे उत्पाद तो पिट जाएंगे। सूरत और लुधियाना में लिग्नाइट कोयला, पेटकोक का इस्तेमाल होता है, जो यहां प्रतिबंध है। अभी कोयले पर इंडर्स्टी चल रही है, जिस पर 30 सितंबर के बाद प्रतिबंध लग जाएगा।