अमीनगर सराय। हिसावदा गांव की चौपाल पर कुछ बुजुर्ग बैठ कर काफी तेज आवाज में बातचीत कर रहे है। लग रहा जैसे गांव में कोई विवाद हो गया हो। मगर, निकट जाने पर पता चला कि मतगणना से पहले ही प्रत्याशियों की हार-जीत की कड़ियां जोड़ने में लगे हुए थे। कोई कहता है कि इस बार रालोद-सपा गठबंधन का प्रत्याशी जीत रहा है, क्योंकि उसको मुस्लिम के साथ जाट व यादव वोटर भी मिले है। भाजपा की जीत का गणित भी सामने रखा जाता है और फिर कड़ी टक्कर बताई जाती है।

इस तरह केवल हिसावदा गांव में ही नहीं हो रहा था, बल्कि अधिकतर गांवों में चौपाल पर बैठकर हर कोई मतगणना से पहले ही अपने प्रत्याशियों को जीत दिला रहा है। यह चुनावी चर्चा इस हद तक पहुंच जाती है कि प्रत्याशियों की हार-जीत पर बुजुर्ग आपस में शर्त तक लगाने को तैयार हो जाते है। कोई भाजपा की जीत का दावा करता है तो दूसरा तुरंत बोलता है कि रालोद वाला जीतेगा, चाहे शर्त लगा लो। ऐसे ही ही हिसावदा में चौपाल पर बैठकर चुनावी चर्चा कर रहे किसान भोपाल सिंह कहते है कि इस बार जातीय समीकरण ने भाजपा वाले की राह मुश्किल कर दी है। जाटों का एक बड़ा हिस्सा इस बार गठबंधन के साथ हैं,

जबकि मुस्लिम व यादव पहले ही गठबंधन के साथ थे। तभी वहां बैठे ब्रह्मपाल सिंह कहते है कि भाजपा व रालोद के कड़े मुकाबले में बसपा व कांग्रेस भी खेल बिगाड़ सकती है। गुर्जर व दलित वोट बंट गया तो भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा। अब भाजपा को केवल इनसे ही उम्मीद है। पास ही बैठे विजय पाल भी बीच में बोल पड़ते है कि रालोद के साथ मुस्लिम व कुछ जाट, कुछ यादव है, लेकिन भाजपा के साथ सभी बिरादरी है। भाजपा ने सभी के लिए कार्य किया है। हर बिरादरी से थोड़ा-थोड़ा वोट भाजपा को मिला है, इसलिए भाजपा जीत रही है। उस चर्चा भी तभी महेंद्र सिंह भी शामिल होते है और वह कहते है कि इस बार जात-बिरादरी की जगह लोगों ने विकास को देखकर वोट दिया है। मगर, चुनाव इतना आसान नहीं लग रहा है और भाजपा व रालोद में टक्कर है।