मॉस्को: यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई को लेकर कई विशेषज्ञों ने यह माना है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक छोटी सी जीत के लिए आक्रामता के साथ हमला किया. गुरुवार को भी रूसी सेना ने यूक्रेन में जमकर गोलाबारी की और अब भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. पुतिन के तेवर को देखते हुए ऐसा लगता है कि वह यूक्रेन में अपनी हुकूमत चाहते हैं ना कि कुछ क्षेत्रों को स्वतंत्र क्षेत्र का दर्जा देना चाहते हैं.
यूक्रेन स्टेट बॉर्डर गार्ड सर्विस ने बताया कि उसके सुरक्षाकर्मियों पर सुबह 5 बजे हमला कर दिया गया और पूर्वी सीमा पर स्थित 5 प्रांतों में क्रीमिया ने अपना कब्जा कर लिया है. इसमें डोनबासिन भी शामिल है. इसके अलावा यूक्रेन के दूसरे शहर खार्किव में सुबह रूस के टैंक पहुंच गए. CNN के अनुसार, रूस की सेना ने राजधानी कीव के बाहर एयर अटैक के जरिए हॉस्टोमेल एयरपोर्ट पर भी कब्जा जमा लिया.
यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार, मेयखालो पोडोलीक ने कहा कि, रूस की सेना अब देश के सरकारी और प्रशासनिक प्रतिष्ठानों पर अपना नियंत्रण कर सकती है. रूस के सैनिक एयरबोर्न के जरिए इन संस्थाओं को कब्जा जमा सकते हैं. उनका मुख्य उद्देश्य सरकार के उच्च अधिकारियों को हटाना है.
वहीं इस युद्ध पर नजर रखने वाले एक एक्सपर्ट ने कहा कि रूस, यूक्रेन में एक मास्को फ्रेंडली प्रशासनिक व्यवस्था चाहता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वह यहां पर किस तरह की सरकार को स्थापित करना चाहता है. इस युद्ध में अपनी 10 गुना सैन्य शक्ति का इस्तेमाल किया है.
हालांकि यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने पूर्वी मोर्चे पर रूस के एयरक्राफ्ट को मार गिराया है और टैंक नष्ट कर दिए. वहीं रूस के रक्षा मंत्री ने दावा किया कि उन्होंने 74 मीलिट्री फैसिलिटी, जिनमें 11 एयरफील्ड और 3 कमांड पोस्ट शामिल हैं, उन्हें बर्बाद कर दिया है.
वहीं विदेश मामलों के जानकार ने इस हालात के लिए सीधे तौर पर अमेरिका और पश्चिमी देशों को जिम्मेदार माना है. इन एक्सपर्ट्स का कहना है कि जंग शुरू होने से पहले NATO और पश्चिमी देशों ने बड़ी-बड़ी बातें की और यह बताने की कोशिश की वे यूक्रेन के साथ खड़े हैं लेकिन जब जंग शुरू हुई तो वे सिर्फ कोरी बयानबाजी करने लगे. खुद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा है कि NATO ने उन्हें पर्याप्त सैन्य सहायता नहीं पहुंचाई.