श्रीनगर. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है, सभी जगह एक जैसे लोग हैं और सबने मेरी बहुत मदद की, कहीं कोई भेदभाव नहीं है. ये बात जेब में पैसे लिए बिना यात्रा कर कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाने और फिर लौट कर आने वाले मुनीब अहमद वानी ने कही. वे कश्मीर के शोपियां जिले के पिंजुरा गांव में रहते हैं. वानी ने News18 उर्दू से बात करते हुए इसे एक सामाजिक प्रयोग बताया और कहा कि उन्होंने 16 दिसंबर, 2021 को अपनी यात्रा शुरू की और 24 फरवरी, 2022 को वापस लौटे. वे विभिन्न विषयों पर ब्लॉग पोस्ट करते हैं.
उन्होंने कहा कि जेब में पैसे लिए बिना यात्रा करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन सबने बिना भेदभाव के मदद की और ये प्रयोग सफल रहा. मुनीब अहमद ने बताया कि यहां कश्मीर में लोग हमेशा सभी की मदद करते हैं, मदद करना ही कश्मीरियत है. वहीं जब मैंने अपनी जेब में पैसे लिए बिना यात्रा करना शुरू किया तो उससे पहले सोशल मीडिया पर अपने वीडियो के साथ अपना बैंक खाता नंबर और अन्य विवरण पिन किए थे जिसके बाद उन्हें मदद मिली.
यात्रा के दौरान भी जिन लोगों से मैं मिला उनमें से अधिकांश मेरे प्रति सहानुभूतिपूर्ण और दयालु थे. हालांकि कुछ लोग नकारात्मक मानसिकता वाले भी मिलते हैं, उन लोगों से मुझे कोई नाराजगी नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘मैं जहां भी गया, बिना किसी भेदभाव के सभी ने मेरी मदद की. मैंने भाईचारे और मानवता को सब से ऊपर देखा.’
दक्षिण भारत में मिला सहयोग
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में लोग कहते हैं कि कश्मीरी युवाओं को हमेशा बिना किसी कारण के निशाना बनाया जाता रहा है. ऐसे में मैंने बिना किसी पैसे के यात्रा पर जाने और इस बात का पता लगाने की कोशिश की, कि जम्मू-कश्मीर के बाहर एक मुस्लिम नौजवान के साथ कैसा व्यवहार होता है. आश्चर्य है कि दक्षिण भारत में लोगों ने मेरी मदद की और वह भी केवल मेरे बैग पर लगे एक टैग को देखकर, जिसमें लिखा था, ‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा बिना पैसे के.’ उन्होंने कहा कि ‘यात्रा के दौरान, मुझे सभी तरह के लोग मिले. मेरे लिए सब कुछ ऐसे लोगों द्वारा व्यवस्थित किया गया जिन्हें मैं नहीं जानता, चाहे वह मेरा भोजन, मेरी यात्रा शुल्क और या फिर मेरे ठहरने की बात हो. कई बार मुझे हिंदू परिवारों ने मदद की. हिंदू परिवारों ने बिना भेदभाव के मुझे अपने साथ रखा.