बागपत। रूस के हमला करने से यूक्रेन में रह रहे बागपत के कई लोगों का व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है। वह व्यापार को छोड़कर किसी तरह अपनी और परिवार की जिंदगी बचाने में जुटे है। कोई पार्किंग में कार में परिवार के साथ पूरी रात रहा तो किसी ने पहाड़ी पर पहुंचकर रहना शुरू कर दिया है। वहीं, यूक्रेन में पढ़ाई करने गए छात्रों से परिजन लगातार संपर्क बनाए हुए है। सरकार से सभी को सुरक्षित वापस लाने की मांग कर रहे है।

सुभानपुर के रहने वाले अक्षत त्यागी कई साल से यूक्रेन के किरवोग्राद में रहकर कपड़े का व्यापार करते है। रमाला के रहने वाले पंकज भी यूक्रेन के ओडिसा में रहकर मशीनों को मंगवाकर अन्य देशों में सप्लाई करने का व्यापार करते है। इनके अलावा भी कई लोग वहां व्यापार कर रहे है। इन लोगों का कहना है कि रूस के हमले के बाद व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है। रूस की सेना ने ओडिसा पोर्ट पर हमला करके जब कब्जा किया, तब पंकज वहां से मशीनों को भेजने में लगे थे। मगर, रूसी सेना ने पहुंचकर सब कुछ रोक दिया और उनको वापस भेज दिया गया। अक्षत त्यागी भी अपने पूरा व्यापार छोड़कर फिलहाल पहाड़ी इलाके में चले गए है। बागपत के जैन मोहल्ले के रहने वाले एडवोकेट दीपक कौशिक के भाई अभिषेक कौशिक भी 20 साल से यूक्रेन के खारकीव में रहते है। वह एक कंपनी में काम करते है। वह भी पत्नी अपर्णा कौशिक व दो बच्चों के साथ दहशत में पार्किंग में कार के अंदर रात बिताते है।

बागपत में मेरठ रोड पर रहने वाले ओमबीर ढाका और उनकी पत्नी डा. संजय ढाका लगातार बेटी अनुष्का ढाका से बातचीत कर रहे है। उनकी बेटी ओडिसा में रहती है। बेटी ने बताया कि सेना के वाहनों की सायरन लगातार बज रहे है। बम धमाकों और गोलियां चलने से वह दहशत में है। अब सबसे ज्यादा पानी की समस्या हो रही है। पानी पांच गुना महंगा हो गया है। एटीएम नहीं चलने से पैसे भी खत्म हो रहे है, जिससे खाने-पीने की परेशानी हो सकती है।

डीआईओएस कार्यालय में तैनात वरिष्ठ सहायक जयप्रकाश रुहेला ने बताया कि उनका पौत्र उज्ज्वल रुहेला भी यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गया था। वह कुछ महीने पहले ही वहां गया था। अब युद्ध होने पर वह जान बचाने के लिए बंकर में छुपा हुआ है। इसे लेकर परिवार वाले चिंतित है। सभी चाहते है कि वह किसी तरह से वापस अपने घर लौट आए।

अग्रवाल मंडी टटीरी के रहने वाले श्रीपाल वर्मा का बेटा सागर वर्मा भी यूक्रेन के खारकीव में नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है। सागर वर्मा के पिता श्रीपाल वर्मा समेत पूरा परिवार बेटे को लेकर चिंतित है। वे लगातार सागर से संपर्क बनाए हुए है। श्रीपाल वर्मा ने बताया कि सागर से फोन पर बातचीत हुई। उसने बताया कि करीब 200 छात्र दो दिन से मेट्रो स्टेशन के नीचे बंकर में रह रहे है। वहां खाने-पीने की व्यवस्था है। बताया कि सागर को 28 फरवरी को घर आना था, 60 हजार रुपये में उसका टिकट भी हो गया था। मगर, अब फ्लाइट बंद होने से मामला अटक गया। परिजनों ने सरकार से जल्द उसे वापस लाने की मांग की है।

बड़ौत के गुराना रोड पर रहने वाली प्रभारी सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी पंचायत रीता राणा का परिवार भी बेहद चिंतित है। रीता राणा का बेटा मानिक राणा भी यूक्रेन की राजधानी कीव में एमबीबीएस करने गया था। युद्ध होने के बाद वह भी यूक्रेन में ही फंसा हुआ है। मानिक राणा ने शुक्रवार को माता-पिता से बातचीत में बताया कि वह अपने फ्लैट से बाहर नहीं निकल रहे हैं। दिन भर उड़ रहे प्लेन से दहशत का माहौल बना हुआ है। लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।