युद्ध यानी नुकसान ही नुकसान. युद्ध रूस-यूक्रेन के बीच लड़ा जा रहा है लेकिन नुकसान पूरी दुनिया को उठाना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले देशों में भारत शीर्ष पर हैं. भारत का रूस के साथ-साथ यूक्रेन से भी अच्छा-खासा व्यापार होता है. भारत कृषि से लेकर फार्मा सेक्टर तक में यूक्रेन से आयात निर्यात करता है.
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में युद्ध से भारत को होने वाले नुकसान का आकलन जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन में जारी संकट के चलते चालू वित्त वर्ष में देश का आयात बिल बढ़कर 600 अरब अमेरिकी डॉलर हो सकता है. इसका कारण कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक के आयात पर भारत की निर्भरता और रुपये के मूल्य में गिरावट है.
महंगाई भी बढ़ेगी
इससे महंगाई और चालू खाता घाटा बढ़ने की आशंका है. रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा. रिपोर्ट के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए भू-राजनीतिक जोखिम से खनिज तेल और गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक जैसी वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे.
चालू खाता घाटा बढ़ सकता है
इसके चलते वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तुओं का आयात 600 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में 492.9 अरब अमेरिकी डॉलर था. इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने रिपोर्ट में कहा कि इसके चलते मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होगी, चालू खाता घाटा बढ़ सकता है और रुपये के मूल्य में गिरावट हो सकती है. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमत में 5 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी होने पर व्यापार या चालू खाता घाटा 6.6 अरब डॉलर बढ़ता है.
क्रूड ऑयल से भारी नुकसान
युद्ध की वजह से क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल का दाम तेजी से बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है. इसकी वजह से भारत को करीब एक लाख करोड़ रुपये तक का चपत लगेगी.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है. रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध खिंचा तो अगले वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व में 95 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक कमी आ सकती है. साथ ही घरेलू महंगाई भी बढ़ेगी. क्योंकि सभी वस्तुओं व उत्पादों की कीमतों पर असर हो सकता है.
हर महीने 8,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान
जापानी शोध कंपनी नोमुरा का भी दावा है, इस संकट में भारत को एशिया में सर्वाधिक नुकसान होगा. एसबीआई के समूह प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2021 से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है.