लखनऊ . शासन ने बृहस्पतिवार को जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम पंचायत चुनाव के लिए स्थानों व पदों के आरक्षण की नीति जारी कर दी। नई नीति से त्रिस्तरीय पंचायतों के पदों के आरक्षण में बड़े बदलाव की संभावना है। सबसे पहले उन जिला, क्षेत्र व ग्राम पंचायतों को आरक्षित किया जाएगा जो अभी तक इससे वंचित रही हैं। आरक्षण की चक्रानुक्रम (रोटेशन) प्रणाली रहेगी लेकिन इसमें तमाम शर्ते लागू की गई हैं। 1995 से लेकर 2015 तक पांच चुनावों में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित रही सीटें इस बार संबंधित वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी। माना जा रहा है कि इस व्यवस्था से करीब 15 हजार पंचायतों को पहली बार आरक्षण का लाभ मिलेगा।

अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार ने लोकभवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए जारी किए दिशा-निर्देशों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई नीति का सबसे प्रमुख सिद्धांत यह है कि जो ग्राम, क्षेत्र या जिला पंचायतें अभी तक किसी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हुई हैं, उन्हें सबसे पहले उन्हीं वर्गों के लिए आरक्षित किया जाएगा। पंचायत निर्वाचन-2021 में अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग की सर्वाधिक आबादी वाली जिला, क्षेत्र व ग्राम पंचायतों को रोटेशन में आरक्षित किया जाएगा लेकिन 1995, 2000, 2005, 2010 व 2015 में जो पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, वे इस बार अनुसूचित जाति के लिए आवंटित नहीं की जाएंगी। जो पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित रह चुकी हैं, उन्हें पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। उनमें जनसंख्या के अवरोही क्रम में अगले स्टेज पर आने वाली जिला, क्षेत्र या ग्राम पंचायत से आरक्षण शुरू किया जाएगा।

मान लीजिये जिला पंचायत में अध्यक्ष पदों का आरक्षण होना है। इसके लिए प्रदेश की जिला पंचायतों को अनुसूचित जाति की आबादी के प्रतिशत के आधार पर अवरोही (ऊपर से नीच)े क्रम में सूचीबद्ध किया जाएगा। पिछले पांच चुनावों में जो जिला पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आवंटित नहीं हुई हैं, उन्हें सबसे पहले निर्धारित संख्या में एससी महिला के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा। अनुसूचित जाति के पदों का आवंटन शेष रहने पर अनुसूचित जाति की संख्या के अवरोही क्रम में उन जिला पंचायतों को आरक्षित किया जाएगा जो 2015 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं थीं। इसी प्रकार पिछड़ी जाति के जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व की गईं जिला पंचायतों को हटाते हुए शेष को पिछड़ी जातियों की आबादी के प्रतिशत में अवरोही क्रम में लगाया जाएगा। सबसे पहले उन जिला पंचायतों को ओबीसी के लिए आरक्षित किया जाएगा जो कभी इस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रही है। शेष क्रम एससी आरक्षण की तरह ही चलेगा।

शासन स्तर से जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का आरक्षण एवं आवंटन शुक्रवार को जारी किया जाएगा। यानी यह साफ हो जाएगा कि प्रदेश में जिलों में कितने अध्यक्ष पद किस वर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे। यह भी पता लग जाएगा कि किस जिले में एससी, ओबीसी या महिला अध्यक्ष चुनी जाएंगी। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज राज मनोज कुमार सिंह यह भी करेंगे कि किस जिले में ब्लाक प्रमुख के कितने स्थान पद आरक्षित रहेंगे। किस ब्लाक में प्रमुख पद किस वर्ग के लिए आरक्षित रहेगा, इसका प्रस्ताव जिला स्तर पर तैयार होगा। ब्लाकवार प्रधान के पदों का आरक्षण चार्ट निदेशालय से तैयार कराकर 15 फरवरी तक जिलों को उपलब्ध कराया जाएगा। प्रधान पदों का आरक्षण जिला स्तर से होगा।

16 एससी, 20 ओबीसी, 25 महिलाएं चुनी जाएंगी अध्यक्ष
75 जिला पंचायतों में मात्र आधा फीसदी आबादी के चलते प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए कोई अध्यक्ष पद आरक्षित नहीं रहेगा। अनुसूचित जाति के लिए 16 और पिछड़ी जाति के लिए 20 जिला पंचायत अध्यक्ष आरक्षित रहेंगे। 33 फीसदी आरक्षण होने के कारण 25 महिलाएं जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी जाएंगी। प्रधान पद के 15172 पद ओबीसी, 12045 अनुसूचित जाति और 330 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहेंगे। कुल 826 प्रमुखों में अनुसूचित जनजाति के 5, अनुसूचित जाति के 171 और पिछड़ी जाति के 223 ब्लाक प्रमुख चुने जाएंगे।

अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज ने बताया कि प्रदेश में दो जिला पंचायत शामली व बागपत कभी अनुसूचित जाति के लिए और तीन जिला पंचायत देवरिया, कुशीनगर और बलिया कभी ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं रही। इसी तरह 7 जिला पंचायत कभी महिला के लिए आरक्षित नहीं रही। इन सभी को सबसे पहले क्रमश: एससी, ओबीसी न महिला के लिए आरक्षित किया जाएगा।
किसके कितने पद
जिला पंचायत अध्यक्ष 75
जिला पंचायत सदस्य 3051
ग्राम प्रधान 58194
ग्राम पंचायत सदस्य 7,31,813
बीडीसी सदस्य 75855