यूपी में पहले चरण में मतदाताओं ने लोकतंत्र की इबारत लिखी तो सियासी दलों का गणित बनने और बिगड़ने लगा। सपा-रालोद गठबंधन ने भाजपा के सामने चुनौती पेश कर दी। भले ही एग्जिट पोल पश्चिमी यूपी की ज्यादातर सीटों पर कमल खिला रहा हो, लेकिन प्रत्याशी अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। गंगा-यमुना के दोआब में भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच आज कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। 2017 की मोदी लहर के नतीजे दोहराना इस बार भाजपा के लिए आसान नहीं है। कई विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां खाली हाथ खड़े गठबंधन की होली में इस बार जीत का रंग बिखर सकता है। आगे विस्तार से जानें, आखिर किन सीटों पर होगी कांटे की टक्कर और किन संवेदनशील सीटों पर टिकी हैं सबकी नजरें: –

मेरठ की इन तीन सीटों पर दिलचस्प होगा मुकाबला
हस्तिनापुर सीट : मेरठ की महत्वपुर्ण विधानसभा सीट हस्तिनापुर पर आज सभी की नजरें टिकी हैं। यहां भाजपा और सपा रालोद गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। भाजपा की ओर से जहां राज्यमंत्री दिनेश खटीक की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं गठबंधन से सपा प्रत्याशी के भाग्य का आज फैसला होना है। जीत का ताज किसके सिर सजेगा यह देखने वाली बात होगी।

जीत रहा हूं हस्तिनापुर का रण :योगेश वर्मा
सपा-रालोद गठबंधन के हस्तिनापुर सीट से प्रत्याशी योगेश वर्मा का कहना है कि मैं हस्तिनापुर से जीत रहा हूं और सपा प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बना रही है। 10 मार्च को एग्जिट पोल उल्टा हो जाएगा।

सिवालखास विधानसभा सीट पर गुलाम मोहम्मद ने पेश की चुनौती
प्रथम चरण के मतदान से पूर्व ही जाट बाहुल्य सिवालखास विधानसभा सीट चर्चा में आ गई थी। इस सीट पर भाजपा ने जहां मंनिंदर पाल को टिकट दिया वहीं सपा रालोद गठबंधन से गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी बनाया गया तो हंगामा हो गया। रालोद समर्थकों ने यहां जाट प्रत्याशी को मैदान में उतारने की मांग की, लेकिन प्रत्याशी नहीं बदला गया। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस सीट पर गठबंधन का पलड़ा भारी है। वहीं भाजपा भी अपनी जीत का दांव ठोक रही है।

भाजपा की होगी प्रचंड जीत: मनिंदर पाल सिंह
सिवालखास सीट से भाजपा प्रत्याशी मनिंदर पाल सिंह का कहना है कि एग्जिट पोल के नतीजे जनता की आवाज हैं। हर वर्ग हर जाति के लोगों ने भाजपा को वोट दिया है। यही भाजपा की प्रचंड जीत का कारण बनेगा।

हॉट सीट सरधना पर संगीत सोम और अतुल प्रधान
मेरठ जिले की हॉट सीट मानी जाने वाली सरधना विधानसभा सीट इस चुनावों में हॉट सीट के तौर पर सामने आई है। उसकी वजह है भाजपा के फायर ब्रांड नेता और मौजूदा विधायक संगीत सोम और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नजदीकी अतुल प्रधान। दोनों ही प्रत्याशियों के बीच यहां कड़ी टक्कर चल रही है। मुजफ्फरनगर दंगों में भड़काऊ बयान देकर चर्चा में आए संगीत सोम ने इसके बाद से खुद को लगातार भाजपा के फायर ब्रांड नेता के तौर पर स्थापित किया है तो उनके सामने लड़ रहे अतुल प्रधान की छवि जन नेता की मानी जाती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भी उन्हें वरदहस्त प्राप्त है। जाहिर है कि इस सीट पर मुकाबला कांटे का होने वाला है।

एग्जिट पोल से भी बड़ी होगी जीत: संगीत सोम
सरधना सीट से भाजपा प्रत्याशी संगीत सोम का कहना है कि एग्जिट पोल के जो आंकड़े आ रहे हैं, वह अभी भी सरकार को कम वोट दिखा रहे हैं। योगी सरकार 300 सीटों से ज्यादा जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ आएगी।

बड़े अंतर से होगी जीत
सपा-रालोद गठबंधन के सरधना विधानसभा सीट से प्रत्याशी अतुल प्रधान का कहना है कि उन्हें बड़ी संख्या में हर वर्ग से वोट मिला है। उनकी जीत पक्की है और यह बड़े अंतर से होगी। प्रदेश में भी सपा की सरकार आ रही है।

शामली की दो सीटों पर कांटे की टक्कर
शामली की कैराना विधानसभा सीट और थानाभवन विधानसभा सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला है। कैराना सीट 2017 भाजपा के लिए संजीवनी साबित हुई थी। यहां से हुए पलायन का मुद्दा उठाकर भाजपा ने प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज की थी। लेकिन इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह सपा प्रत्याशी नाहिद हसन से हार गई थी। इस बार भी यह दोनों आमने-सामने हैं।

थानाभवन सीट से प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा हैट्रिक लगाने के मकसद से चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने गठबंधन प्रत्याशी अशरफ अली खान मैदान में हैं। इस सीट पर जातिगत आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि गन्ना मंत्री की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है।

बिजनौर की दो सीटों पर दिलचस्प मुकाबला
बिजनौर जिले में आठ विधानसभा सीटें है। इनमें से बिजनौर, नगीना और नजीबाबाद सीट पर सबसे ज्यादा निगाह लगी हुई है। कौन जीतेगा-कौन हारेगा, मतगणना के साथ इसका फैसला भी हो जाएगा। गठबंधन और भाजपा के बीच अधिकांश सीटों पर कड़ी टक्कर नजर आ रही है।

नजीबाबाद में भाजपा प्रत्याशी भारतेंद्र सिंह और सपा प्रत्याशी तस्लीम अहमद के बीच, नगीना में भाजपा प्रत्याशी डॉ.यशवंत सिंह और सपा प्रत्याशी मनोज पारस और बिजनौर सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुचि मौसम चौधरी और गठबंधन प्रत्याशी डॉ.नीरज चौधरी के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। वहीं परिणाम की बात करें तो सबसे पहले धामपुर और नहटौर का परिणाम आ जाएगा, वहीं बिजनौर और बढ़ापुर का परिणाम सबसे बाद में आएगा।

बागपत में भाजपा-रालोद में सीधी टक्कर, दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
बागपत में चुनाव मैदान में तीनों विधानसभा सीटों पर भले ही 28 प्रत्याशी रहे हो, लेकिन हर सीट पर भाजपा व रालोद में सीधी टक्कर है। अब मतगणना के साथ यह साफ हो जाएगा कि तीनों सीटों पर दोबारा कमल खिलेगा या रालोद खोई हुई जमीन को पाने में कामयाब होगा। बड़ौत व छपरौली विधानसभा सीट पर सभी की नजरें टिकीं हैं। वहीं, चुनाव में प्रत्याशियों के साथ ही सांसद, जिलाध्यक्ष व बाहर से आए नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की स्थिति भी काफी हद तक इन परिणाम से साफ होगी।

बड़ौत विधानसभा सीट
बड़ौत विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 94 हजार 529 मतदाताओं ने वोट डाला। इस सीट पर वर्ष 2017 में भाजपा से केपी मलिक ने जीत दर्ज की थी। वहीं, रालोद से साहब सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी भाजपा से केपी मलिक तो रालोद-सपा गठबंधन से एडवोकेट जयवीर सिंह मैदान में उतारे गए। इन दोनों के बीच सीधी टक्कर रही। हालांकि अब मतगणना से साफ होगा कि केपी मलिक के सिर दोबारा ताज सजता है या जयवीर सिंह कुर्सी पर काबिज होंगे। इस सीट पर सबसे कड़ी टक्कर बताई जा रही है।

ये हैं प्रत्याशी
केपी मलिक-भाजपा
जयवीर तोमर-रालोद-सपा गठबंधन
अंकित शर्मा-बसपा
राहुल कश्यप-कांग्रेस

छपरौली विधानसभा सीट
छपरौली विधानसभा सीट पर दो लाख आठ हजार 471 वोट डाले गए थे। इस सीट पर वर्ष 2017 में रालोद से चुनाव लडक़र सहेंद्र सिंह रमाला विधानसभा में पहुंचे थे। उन्होंने भाजपा के सत्येंद्र सिंह को हराया था। हालांकि चुनाव जीतने के बाद सहेंद्र सिंह भाजपा के साथ चले गए थे। इस बार भाजपा ने सहेंद्र सिंह रमाला को चुनाव में उतारा। उनके सामने रालोद-सपा गठबंधन ने पूर्व विधायक डॉ. अजय कुमार को प्रत्याशी बनाया। इस सीट का इतिहास रहा है कि इस पर चौधरी चरण सिंह, उनके परिवार के लोग व रालोद के नेता ही चुनाव जीते हैं। इस बार सहेंद्र सिंह ने मजबूती से चुनाव लड़ा और मतगणना के साथ साफ हो जाएगा कि वे इतिहास रचने में कामयाब होते हैं या फिर से यह सीट रालोद के पाले में जाएगी।

ये हैं प्रत्याशी
सहेंद्र सिंह रमाला-भाजपा
डॉ. अजय कुमार-रालोद-सपा गठबंधन
शाहिन चौधरी-बसपा
यूनुस चौधरी-कांग्रेस

मुजफ्फरनगर की चार सीटों पर हार-जीत नजदीकी अंतर
मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना विधानसभा सीट और सुरक्षित सीट पुरकाजी में घमासान मचा है, तो शहर सीट पर कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल की प्रतिष्ठा दांव पर है। चरथावल भी हॉट सीट बनी हुई है।

बुढ़ाना विधानसभा सीट : इस सीट पर किसान आंदोलन का असर साफ दिखा। बालियान और गठवाला खाप के गांवों में मतदाताओं ने उत्साह दिखाया। मुस्लिम इलाकों में मतदान का प्रतिशत 60 फीसदी से भी अधिक रहा है। भाजपा के विधायक और प्रत्याशी उमेश मलिक की राह सपा-रालोद गठबंधन के राजपाल बालियान ने मुश्किल कर दी है। भाजपा का गणित जाट वोट बैंक में सेंध और अति पिछड़े वर्ग के वोट प्रतिशत पर टिका है।

सुरक्षित सीट पुरकाजी: इस सीट पर सियासत के कई पुराने धुरंधरों ने चुनाव लड़ा। कांग्रेस से पूर्व मंत्री दीपक कुमार, आजाद समाज पार्टी से पूर्व मंत्री उमा किरन, सपा-रालोद गठबंधन से दो बार के विधायक अनिल कुमार और भाजपा से वर्तमान विधायक प्रमोद उटवाल। यहां नजदीकी मुकाबले के आसार बने हुए हैं।

मुजफ्फरनगर शहर सीट: यहां कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा के लिए यहां भीतरघात बड़ा खतरा है। सपा-रालोद गठबंधन के सौरभ स्वरूप बंटी ने कड़ी चुनौती पेश की है।

सहारनपुर की नकुड़ सीट पर टिकी निगाहें
सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। नकुड़ विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 76.06 फीसदी मतदान हुआ। इस विधानसभा सीट के 3 लाख 54 हजार 943 मतदाताओं में से 2 लाख 69 हजार 964 मतदाताओं ने मतदान किया। नकुड़ सीट पर भाजपा के मुकेश चौधरी, सपा के डॉ. धर्म सिंह सैनी के बीच जबरदस्त मुकाबला माना जा रहा है। इसी सीट पर हर किसी की नजर बनी हुई है। बता दें कि धर्मसिंह सैनी मतदान से एन वक्त पहले सपा में शामिल हो गए थे। ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।