लखनऊ. अपनी भरपूर तैयारियों और व्यवस्थित चुनावी कैंपेन के बावजूद सपा मुखिया अखिलेश यादव लगातार दूसरी बार असेंबली का चुनाव हार गए. इस हार से सपा समेत उसके सहयोगियों के खेमे में गहरी निराशा है. हम आपको बताते हैं कि वे कौन सी 10 बड़ी वजहें रहीं, जिन्होंने समाजवादी पार्टी की लुटिया डुबो दी.
सपा के शासन में भड़के दंगे
अखिलेश यादव के शासनकाल में 2013 में भड़का मुजफ्फरनगर का दंगा इस बार भी सपा के लिए भारी साबित हुआ. बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन में सपा पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों को भड़काने और दोषियों को शरण देने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि 2017 में उनकी सरकार आने के बाद यूपी सांप्रदायिक दंगों से मुक्त हो गया.
कैराना पलायन के जिम्मेदार को दिया टिकट
अखिलेश यादव ने 2016 में कैराना से हिंदुओं के पलायन के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले गैंगस्टर नेता नाहिद हसन को टिकट दिया. नाहिद हसन पर कैराना में रहने वाले हिंदुओं को धमकाने और उनकी संपत्तियों पर कब्जा करने का आरोप था. इसके बावजूद अखिलेश यादव ने नाहिद हसन पर भरोसा बनाए रखा. बीजेपी अपनी सभी सभाओं में कैराना पलायन के मुद्दे पर लगातार सपा पर निशाना साध रही थी.
यादव परिवार में दरार
अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के बीच अनबन की खबरें आ रही थीं. इसे लेकर बीजेपी नेता लगातार अखिलेश यादव पर निशाना साधते रहे. अखिलेश यादव के सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव चुनावों के दौरान बीजेपी में शामिल हो गई. इससे भी लोगों का समाजवादी पार्टी से मोहभंग हुआ.
अहमदाबाद ब्लास्ट पर कुछ न बोलना
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट मामले में आए गुजरात की कोर्ट के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी को घेरा. एक जनसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘कल 2008 के अहमदाबाद सीरियल बम विस्फोट मामले में एक अदालत ने 49 दोषियों में से 38 को मौत की सजा सुनाई. जिनमें से कुछ आतंकवादियों का यूपी से भी संबंध था. उनमें से आजमगढ़ के एक आतंकी का पिता सपा प्रचारक के तौर पर कार्यरत है.’ इस मुद्दे पर एसपी ने चुप्पी साध ली, जिसे उसके आतंक परस्त होने के रूप में ग्रहण किया गया.
आतंकियों से सहानुभूति
बीजेपी अहमदाबाद ब्लास्ट तक ही नहीं रुकी. उसके सभी नेताओं ने अखिलेश यादव सरकार के दौरान के कार्यकाल को अपने निशाने पर रखा. बीजेपी नेताओं अखिलेश यादव पर अपने कार्यकाल के दौरान कई आतंकी हमलों में शामिल आतंकवादियों के खिलाफ मामले वापस लेने का आरोप लगाया. इस मुद्दे पर सपा नेता लगातार बचाव की मुद्रा में रहे, जिससे जनता में नेगेटिव मैसेज गया.
राम मंदिर और हिंदुत्व पर स्टैंड में लगातार बदलाव
अखिलेश यादव अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर और हिंदुत्व पर अपने स्टैंड को लगातार बदलते रहे. जनवरी 2022 में उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण नियमित रूप से उनके सपनों में दिखाई देते हैं. वे सपने में आकर कहते हैं कि इसी साल असेंबली चुनाव के बाद यूपी में सपा की सरकार बनेगी.
दिसंबर 2021 में एक जनसभा में अखिलेश यादव ने दावा किया कि अगर राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार होती तो अयोध्या में राम मंदिर एक साल में बन जाता. वहीं 9 फरवरी को उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने वालों पर कटाक्ष किया. अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग दान लेने के लिए बाहर जाते हैं उन्हें मैं क्या कहूं? क्या वे ‘चंदा जीवी संगठन’ के सदस्य नहीं हैं?
इससे पहले दिसंबर 2020 में अखिलेश यादव ने अयोध्या में दौरा करके कहा था कि भगवान राम समाजवादी पार्टी के हैं, हम राम भक्त हैं. इन सब ऊट-पटांग बयानों ने जनता में उनकी छवि अगंभीर नेता की बनी और लोगों ने उनकी टिप्पणियों को हिंदू धर्म पर आघात के रूप में देखा. जिसका खामियाजा उन्हें चुनावों के रूप में उठाना पड़ा.
मुसलमानों पर फोकस
अखिलेश यादव ने मुस्लिमों पर फोकस रखते हुए उन्हें खुश करने के लिए जिन्ना, टोपी और पाकिस्तान के समर्थन में कई बयान दिए, जिसने लोगों में उनके प्रति नाराजगी पैदा की. उन्होंने 31 अक्टूबर 2021 को हरदोई की एक जनसभा में कहा कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और मुहम्मद अली जिन्ना जैसे नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाई थी. वहीं जनवरी 2022 में कहा कि हमारा असली दुश्मन पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन है. लेकिन बीजेपी सिर्फ वोट की राजनीति के लिए पाकिस्तान को निशाना बनाती है.
कोरोना वैक्सीन की आलोचना
अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन बताते हुए खुलकर उसकी आलोचना की. उन्होंने अपने समर्थकों से भी यह वैक्सीन न लगवाने की अपील की. उनके इन बयानों को बीजेपी ने हाथोंहाथ लपकते हुए इसे देश के सम्मान के साथ जोड़ दिया. बीजेपी ने कहा कि दुनिया के केवल 7 देश ही कोरोना वैक्सीन बनाने में कामयाब हो पाए हैं, जिनमें भारत भी एक है. इसके बाद देश पर गर्व करने के बजाय अखिलेश यादव उस पर शक जताकर देश को लज्जित करते रहे हैं.
कानून व्यवस्था की स्थिति
सपा ने सीएम योगी के शासन काल में गुंडागर्दी बढ़ने का आरोप लगाया. इसके जवाब में बीजेपी नेताओं ने अखिलेश यादव सरकार के दौरान हुए दंगों और बड़ी आपराधिक घटनाओं की याद दिलाते हुए उन्हें लगातार घेरने का काम किया. सीएम योगी ने अखिलेश पर पलटवार करते हुए कहा कि पांच साल पहले जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का शासन था, तब राज्य को दंगों के लिए जाना जाता था.
अर्थव्यवस्था पर उठे सवाल
सीएम योगी ने अपने बयानों में यूपी की आर्थिक तरक्की को लगातार अपने भाषणों में स्थान दिया. उन्होंने कहा कि जब यूपी में अखिलेश यादव सरकार थी, तब प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश में छठे स्थान पर थी. वहीं यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पिछले 5 साल में प्रदेश आर्थिक क्षेत्र में छलांग मारकर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.